दूसरों के लिए वरदान साबित होगा मंडी के 30 लोगों का यह फैसला (Video)

punjabkesari.in Friday, Oct 19, 2018 - 07:34 PM (IST)

मंडी (नीरज): हमारे धर्म ग्रंथों में लिखा है कि मानव शरीर नाशवान है और मरने के बाद शरीर का नाश होना तय है। मरने के बाद मानव शरीर को अलग-अलग धर्मों की मान्यताओं के अनुसार नष्ट कर दिया जाता है। लेकिन इन सब बातों से परे कुछ लोग अपने शरीर को मरने के बाद अनुसंधान के लिए दान देते हैं या कुछ लोग अपने अंग को दान करके किसी और के जीवन को बचाने के लिए अपने शरीर को दान करते हैं। देहदान के मामले में अब मंडी जिला के लोग भी रूची दिखा रहे हैं।
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देहदान की सुविधा अब नेरचौक मैडिकल कॉलेज में होने से लोगों को अपना शरीर दान करने या फिर शरीर के अंगों को दान कर जरूरत मंदों के जीवन बचाने में सहायता मिलेगी। अब तक मंडी के लगभग 30 लोगों ने अपनी देह मरणोपरांत अनुसंधान के लिए दान करने का आवेदन किया है। नेरचौक मेडिकल कॉलेज की टीम को मंडी शहर में रहने वाली 32 वर्षिय पूजा ने आवेदन दिया। पूजा ने बताया कि उसके माता पिता का देहांत बिमारी के कारण हो गया है और अब उन्होंने अपनी देह को समाज सेवा के लिए दान करने का फैसला लिया है। उनका कहना है कि उन्हें सकून महसूस होगा जब उनका शरीर मरने के बाद भी किसी के काम आ पाएगा।
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मंडी शहर के ही रहने वाले 89 वर्षिय मास्टर हीरा लाल का कहना है कि वे इस आयु में भी स्वस्थ हैं और आराम से चल फिर सकते हैं। उनके शरीर के सभी अंग स्वस्थ हैं इसलिए वे अपना शरीर अनुसंधान के लिए देना चाहते हैं ताकि उनके मरने के बाद उनके शरीर पर अनुसंधान किया जाए और आने वाली पीढ़ी को उसका लाभ मिल सके। पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए हीरालाल ने कहा कि मुझे जीवित रहते हुए बहुत शांति मिली। मरने के बाद क्या होता है यह तो किसी को पता नहीं है पर मेरे शरीर से किसी को लाभ मिलेगा इससे बड़ी बात नहीं हो सकती।

एनाटॉमी विभाग से आए डा. प्रतीक और विभाग की एचओडी डा. सुशीला राणा ने बताया कि देहदान के माध्यम से जहां जरूरतमंदों की मदद की जा सकती है। वहीं डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए अनुसंधान के लिए मृत शरीरों की आवश्यकता रहती है। इसके लिए लोगों को पहले शिमला या चंडीगढ़ का रूख करना पड़ता था लेकिन अब यह सुविधा मैडिकल कॉलेज नेरचौक में मिलने से लोगों को भी देहदान करने में आसानी रहेगी। उन्होनें बताया कॉलेज में इसके लिए एक देहदान समिति भी बनाई गई है। डॉक्टर सुशील ने बताया कि कॉलेज में डोनेट की गई बाडियों को कैमिकल में रख कर प्रिजर्व किया जाता है, ताकि उनपर लम्बे समय तक अनुसंधान किया जा सके। उन्होंने बताया कि उनके पास अभी तक 30 लोगों के देहदान संबंधी आवेदन आए हैं जिनमें से ज्यादातर लोग मंडी से संबंध रखने वाले हैं।


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Ekta

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