यह कैसा इंसाफ : पिछले पांच सालों से फीके त्यौहार मना रहे पीएचई वर्कर , सरकार से खफा

punjabkesari.in Thursday, Oct 18, 2018 - 07:14 PM (IST)

कठुआ : हर वर्ष मनाए जाने वाला हर त्यौहार हर परिवार के लिए खुशियां लेकर आता है। हर परिवार यही चाहता है कि त्यौहार पूरे जोश और खुशी के साथ मनाया जा सके। जिला कठुआ तो क्या पूरे संभाग में एक तबका ऐसा भी है जो पिछले पांच सालों से हर त्यौहार फीका मनाने को मजबूर हो गया है। पर्वो पर मीठे पकवानों का न तो वह सही ढंग से स्वाद ले पा रहा है और न ही अपने परिवार के साथ खुशी से त्यौहार मना रहा है। जी हां हम बात कर रहे हैं पी.एच.ई. विभाग के अस्थायी वर्करों की। रियासत में वर्करों की हड़ताल जारी होने के साथ साथ जिला कठुआ में भी वर्करों की अपनी मांगों को लेकर पिछले करीब एक माह से भी ज्यादा समय से काम छोड़ों हड़ताल जारी है।

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हड़ताल वर्कर करें भी क्यों नहीं, पिछले करीब पांच माह का बकाया वेतन सरकार ने दबा रखा है। विभाग के कर्मी पिछले पांच सालों से एक भी त्यौहार नहीं मना पाए हैं खामियाजा वे मानसिक और आर्थिक परेशानियों से भुगत रहे हैं। बात अगर कठुआ जिला की करें तो यहां मेकेनिकल विंग के साथ साथ सिविल में सेवाएं देने वाले सी.पी. सहित अन्य वर्करों की संख्या दो हजार के करीब होगी। यानि दो हजार के करीब परिवार पिछले पांच सालों से त्यौहारों से पीछे हो चुके हैं। हर बार सरकार या फिर विभाग के आश्वासन आस तो जगाते हैं लेकिन आश्वासन वर्करों की जेब भरने में कामयाब नहीं हो पाते। 

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वर्कर यूनियन के शिव नारायण सिंह, महेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले पांच सालों के दौरान अगर विभाग ने वेतन जारी किया होगा तो वो सिर्फ दो से तीन माह है। पिछले दो सालों से विभाग की ओर से उन्हें मिला ही कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि वेतन न मिलने से वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं लेकिन विभाग और सरकार नींद से जागने को तैयार नहीं है। गत पूर्व भाजपा व पीडीपी सरकार से आस तो जगी थी लेकिन सरकार चली गई न तो उन्होंने उनकी समस्याओं का समाधान किया और न ही अब राज्यपाल शासन में उनकी कोई सुनवाई हो रही है। दशहरा का पर्व भी फीका मिल निकल गया अब उन्हें आस है कि शायद दीपों के पर्व दीपावली से पहले सरकार व विभाग उनके वेतन जारी करने को लेकर पहल करेगा। आपको बता दें कि पूरी रियासत में सी.पी., आई.टी.आई. और लैंड डोनर के करीब 23 हजार वर्कर हैं जो अपनी मांगों को लेकर संघर्षरत है।  


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Monika Jamwal

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