डिप्रेशन में भारत, हर 6वां भारतीय है मनोरोगी

punjabkesari.in Thursday, Oct 18, 2018 - 03:38 PM (IST)

नेशनल डेस्कः रुपया और रोटी कमाने के चक्कर में आज हम खुद एक मशीन बनते जा रहे हैं। भौतिक चीजों की कमाई तो हम कर रहे हैं लेकिन अपनी असल कमाई यानि कि मानसिक संतुष्टि को हम गंवा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में भारतीय सबसे ज्यादा अवसादग्रस्त हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर 6वां भारतीय गंभीर मानसिक विकार से ग्रस्त है। बच्चों पर पढ़ाई और अच्छे नंबरों का दबाव है, युवाओं पर अच्छी नौकरी और परिवार को संभालने की जिम्मेदारी तो महिलाओं पर घर और बाहर दोनों जगहों की जिम्मेदारियां संभालने का दबाव है। इन सब चीजों में दबे हम खुद कहीं खो से गए हैं।
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अध्ययन के मुताबिक अगर लोग ऐसे ही दबाव में अपना जीवन बिताते रहे तो 2020 तक मानसिक रोगियों की संख्या 20 प्रतिशत तक बढ़ने की आशंका है। रिपोर्ट के मुताबिक मुताबिक भारत के बाद दूसरे नंबर पर अवसादग्रस्त देश चीन और अमेरिका है। बता दें कि बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण नें पिछले समय डिप्रेशन से जंग लड़ी और इससे बाहर आने में कामयाब भी रहीं। डिप्रेशन के खिलाफ उन्होंने Live Love Laugh  (TLLLF) फाउंडेशन भी चलाया ताकि अवसाद के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा की जा सके।
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भारत में बढ़ रही मनोरोगियों की संख्या
2014 की एक रिपोर्ट के मुताबिक 100,000 लोगों पर केवल एक मनोवैज्ञानिक, मनाेविश्लेषक या चिकित्सक उपलब्ध हैं जोकि मानसिक स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी को दर्शाता है। देश में महज 3500 मनोवैज्ञानिक, 4000 मनोचिकित्सक और 3500 मानसिक स्वास्थ्य सामाजिक कार्यकर्त्ता हैं। भारत में करीब 80 प्रतिशत लोग मानसिक विकार से जूझ रहे हैं लेकिन वे इससे निपटने के लिए किसी भी तरह का ट्रीटमेंट नहीं लेते। देश में करीब 10.9 लोग प्रति एक लाख पर डिप्रेशन के चलते ही आत्महत्या करते हैं। डिप्रेशन के कारण सुसाइड करने वालों में 40 साल से कम की उम्र के लोग होते हैं।
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14 साल से कम उम्र के बच्चे भी डिप्रेशन के शिकार
भारत की राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NMHS) 2015-16 की एक रिपोर्ट के मुताबिक सबसे चौंकाने वाली बात जो सामने आई थी वो यह कि हमारे देश में 14 साल से कम उम्र के बच्चे डिप्रेशन के शिकार हैं। इस कैटेगिरी में लड़के और लड़कियां दोनों शामिल हैं। डिप्रेशन की किशोरों में स्थिति इतनी खराब है कि उनको इलाज की काफी जरूरत है। वहीं रिपोर्ट में जो एक बात सामने आई वो यह कि गांवों कि तुलना में शहरी किशोर ज्यादा डिप्रेशन में है। इसका जो अहम कारण है वो है हाई सोसाइटी। हाई सोसाइटी के चलते माता-पिता अपने बच्चों से व्यवहार भी हाई चाहते हैं। भले ही बच्चों का मन कुछ और हो। बच्चों पर सबसे ज्यादा दवाब अच्छे नंबर लाने का होता है।
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दुनिया का 19वां अवसादग्रस्त शहर है कोलकाता
कोलकाता को सिटी आफ जॉय यानी मस्ती की नगरी कहा जाता है लेकिन एक सर्वे के मुताबिक कोलकाता दुनिया के 19वें सबसे अधिक अवसाद ग्रस्त शहर की सूची में शामिल है। जबकि देश की राजधानी दिल्ली आठवां, मुंबई 12वें और बेंगलुरु 20वें नंबर पर है। यह सर्वे 2017 के आंकड़ों पर आधारित कर किए गए हैं।
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क्या है डिप्रेशन (अवसाद)
डिप्रेशन तब होता है जब हम किसी चीज को लेकर बहुत ही निराश हो जाए या फिर किसी एक काम या चीज को लेकर बार-बार इंसान पर दबाव बनाया जाए या उसे अपने से पूरी तरह अलग कर दिया जाए। ऐसे हालातों में व्यक्ति अंदर से पूरी तरह टूट जाता है और खुद को सबसे दूर कर देता है। इस अवस्था में व्यक्ति चाह कर भी किसी से खुलकर बात करने से बचता है। अगर तो इस हालात से उस शख्स को समय रहते बाहर कर लिया जाए तो वो फिर से सामान्य हो सकता है, नहीं तो यह स्थिति और गंभीर बन सकती है। कई बार तो अवसादग्रस्त व्यक्ति सुसाइड कर लेता है या फिर मानसिक रोगी हो जाता है। इस हालात से जूझ रहे उस व्यक्ति को अपनों के साथ और प्यार की बहुत जरूरत होती है।
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डिप्रेशन के लक्षण

  • हर दम चुप-चुप और उदास रहना।
  • शरीर और दिमाग थका सा लगना।
  • मूड में परिवर्तन होना।
  • सिर में हल्का-सा दर्द रहना।
  • सबसे अलग रहना और किसी से बात करने का मन न करना।
  • बातों को भूलना।
  • घबराहट और बेचैनी होना।
  • आलस ज्यादा होना।
  • भूख से अधिक खाना या कभी-कभी भूख ही नहीं लगना।
  • ध्यान भटकना, जिससे काम में मन न लगना।
  • निराश रहना।
  • सुसाइड जैसे ख्याल मन में आना।
  • नशे के आदी हो जाना।
  • मन में एक अपराधबोध का रहना।

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डिप्रेशन से बचने के उपाय

  • अपने काम के तनाव को दोस्तों और परिवार के बीच न लाएं
  • हर रोज अपने लिए कुछ समय जरूर निकालें और कुछ एक्टिविटी में जरूर हिस्सा लें। जैसे- सैर पर जाएं, योगा और कसरत करें। स्विमिंग भी करें। 
  • जो काम आपको अच्छा लगता हो वो करें, जैसे- किताब पढ़ना, पेंटिंग, फूल-पौधों के बीच समय गुजारें आदि
  • जितना हो सके शराब, सिगरेट और नशे की चीजों से दूर रहें। 
  • अवसाद होने पर हम चीजें भूलने लगते हैं, इसलिए कुछ अहम कामों के नोट्स बना लें तो धीरे-धीरे चीजें याद रहनी शुरू हो जाएंगी।
  • कभी किसी काम से हार न मानें, कोशिश करते रहें। 
  • खुद से प्यार करना सीखें, किसी अन्य के साथ अपनी तुलना न करें।
  • नकारात्मक बातों को दिमाग में न आने दें।

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खान-पान का रखें ध्यान

  • ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं
  • हरी पत्तेदार सब्जियां, प्रोटीन वाला भोजन खाएं
  • फल जरूर खाएं
  • अपने खाने का समय नियमित करें

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Seema Sharma

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