SSA रमसा अध्यापकों के समर्थन में FB पर लाइव हुए बैंस

punjabkesari.in Thursday, Oct 18, 2018 - 03:20 PM (IST)

लुधियाना (विक्की): वेतन में 65 प्रतिशत तक कटौती किए जाने के विरोध पटियाला में कई दिनों से मरणव्रत धरने पर बैठे एस.एस.ए.-रमसा अध्यापकों के समर्थन में आगे आए लोक इंसाफ पार्टी के प्रमुख एवं विधायक सिमरजीत सिंह बैंस ने जहां मंगलवार को स्कूल शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार के दफ्तर में पहुंचकर उनसे सरकार के दावे के मुताबिक उन 94 प्रतिशत अध्यापकों का डाटा मांगा, जो वेतन कटौती के रूप में रैगुलर होने को तैयार हैं, हालांकि कृष्ण कुमार ने बैंस को ऐन मौके पर डाटा उपलब्ध करवाने में सहमति नहीं दिखाई और इस बाबत कोई भी निर्णय शिक्षा मंत्री की अनुमति पर छोड़ दिया। 

वहीं इसके एक दिन बाद ही बुधवार देर रात 10.30 बजे बैंस फिर फेसबुक लाइव हुए और शिक्षा मंत्री के साथ सैक्टरी एजुकेशन को फिर खरी-खोटीसुनाई। खास बात तो यह है कि ज्यों ही देर रात बैंस लाइव हुए तो उनकी स्पीच शुरू होते ही अध्यापकों के अलावा उनके साथ सोशल मीडिया से जुड़े लोगों ने अपने कमैंट लिखकर सरकार के उक्त वेतन कटौती के फैसले का विरोध शुरू कर दिया।विधायक बैंस ने पटियाला में विरोध कर रहे अध्यापकों की मांगों को जायज बताते हुए आरोप लगाया कि सरकार व शिक्षा सचिव अब अध्यापकों को बांटने के लिए नई से नई स्कीमें लगा रहे हैं, लेकिन उन्होंने अध्यापकों को सरकार व शिक्षा विभाग की ऐसी किसी भी बात में न आने के लिए आगाह भी किया। 

करीब 12 मिनट के लाइव वीडियो में बैंस ने 3,588 अध्यापकों को भी सुझाव दिया कि फिलहाल वह सरकार की ऐसी किसी बात पर विश्वास न करें, जिससे विभाग अध्यापकों को बांटने में सफल हो जाएं। उन्होंने कहा कि आज एस.एस.ए. रमसा अध्यापकों को सभी अध्यापक यूनियनों के सहयोग की जरूरत है और सहयोग उन्हें निरंतर मिल भी रहा है। बैंस ने सरकार से पूछा कि 42,000 रुपए वेतन लेने वाले अध्यापकों की तनख्वाह पर अगर 65 प्रतिशत तक कट लग गया तो अध्यापक वर्ग अपने परिवार कैसे चलाएगा? कई अध्यापकों ने वेतन के मुताबिक ही लोन ले रखे हैं, लेकिन अब वेतन कटौती होने पर लोन की किश्त कैसे उतारेंगे? उन्होंने कहा कि वह फिर जल्द ही सैक्टरी एजुकेशन कृष्ण कुमार के पास जाएंगे और उन 94 प्रतिशत अध्यापकों का डाटा मांगेंगे जिन्होंने सरकार की उक्त स्कीम के अनुरूप रैगुलर होने की हामी भरी है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार लोगों व अध्यापकों को उक्त बातों के जरिए गुमराह कर रही है, जबकि असलीयत यह है कि सरकार के पास ऐसा कोई 94 प्रतिशत अध्यापकों का डाटा है ही नहीं। 


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