Kundli Tv- क्या आप जानतें हैं विजयादशमी से जुड़ा ये राज़

punjabkesari.in Thursday, Oct 18, 2018 - 01:42 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें VIDEO)
भारत के सभी स्थानों में दशहरा अलग-अलग रूप में मनाया जाता है। कहीं यह दुर्गा विजय के प्रतीक स्वरूप मनाया जाता है, तो कहीं नवरात्रों के रूप में। बंगाल में दुर्गा पूजा का विशेष आयोजन किया जाता है। यह त्यौहार हर्ष और उल्लास का प्रतीक है। इस दिन मनुष्य को अपने अंदर व्याप्त पाप, लोभ, मद, क्रोध, आलस्य, चोरी, अहंकार, काम, हिंसा, मोह आदि भावनाओं को समाप्त करने की प्रेरणा मिलती है। अपराजिता पूजा को विजयादशमी का महत्वपूर्ण भाग माना जाता है। हालांकि इस दिन अन्य पूजाओं का भी प्रावधान है जो नीचे दी जा रही हैं:
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जब सूर्यास्त होता है और आसमान में कुछ तारे दिखने लगते हैं तो यह अवधि विजय मुहूर्त कहलाती है। इस समय कोई भी पूजा या कार्य करने से अच्छा परिणाम प्राप्त होता है। कहते हैं कि भगवान श्रीराम ने दुष्ट रावण को हराने के लिए युद्ध का प्रारंभ इसी मुहूर्त में किया था। इसी समय शमी नामक पेड़ ने अर्जुन के गाण्डीव नामक धनुष का रूप लिया था।

क्षत्रिय, योद्धा एवं सैनिक इस दिन अपने शस्त्रों की पूजा करते हैं। यह पूजा आयुध/शस्त्र पूजा के रूप में भी जानी जाती है। वे इस दिन शमी पूजन भी करते हैं। पुरातन काल में राजशाही हेतु क्षत्रियों के लिए यह पूजा मुख्य मानी जाती थी।
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ब्राह्मण इस दिन मां सरस्वती की पूजा करते हैं।

वैश्य अपने बही-खाते की आराधना करते हैं।
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कई जगहों पर होने वाली नवरात्र रामलीला का समापन भी आज के दिन होता है।

रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ  का पुतला जलाकर भगवान राम की जीत का जश्न मनाया जाता है।
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मां भगवती जगदम्बा का अपराजिता स्तोत्र करना बड़ा ही पवित्र माना जाता है।
कैसे मां दुर्गा से अवतरित हुईं मां कालरा (देखें VIDEO)


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Niyati Bhandari

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