मामला एयर पॉल्यूशन का: मौसम में तबदीली से बढ़ी दिल्ली में चिंता, पंजाब लापरवाह!

punjabkesari.in Thursday, Oct 18, 2018 - 11:48 AM (IST)

जालंधर(बुलंद): जैसे ही मौसम सर्द होता है तो वायु प्रदूषण को लेकर राज्य सरकारों की चिंता बढऩी शुरू हो जाती है। सामने आए नए ए.क्यू.आई. आंकड़ों से दिल्ली की सरकार और आम लोगों की चिंता बढ़ गई है। अभी तापमान गिरना शुरू ही हुआ है कि दिल्ली में प्रदूषण का आंकड़ा खतरे के निशान को छूने लगा है। पंजाब में जहां सरकार और प्रदूषण नियंत्रण विभाग का सारा जोर पराली जलाने से रोकने में लगा हुआ है व अन्य मामलों में लापरवाही बरती जा रही है, वहीं दिल्ली के लोगों का साफ हवा में सांस लेना फिर से कठिन होने लगा है। 

क्या पैरामीटर हैं ए.क्यू.आई. के?
प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारियों की मानें तो अगर ए.क्यू.आई. 0-50 है तो मतलब हवा की गुणवत्ता बढिय़ा है। अगर यह 51-100 है तो मतलब हवा की गुणवत्ता में गड़बड़ शुरू हो गई है और सांस की तकलीफ से पीड़ित लोगों को दिक्कत आने लगी है। 101-200 तक ए.क्यू.आई. पर हवा मेें प्रदूषित अंश बढ़ गए हैं और सांस की बीमारियां फैलने का खतरा बना गया है। 200-300 तक में उक्त हवा में सांस लेना खतरनाक है। 301-400 के बीच ए.क्यू.आई. होने पर उक्त हवा काफी खतरनाक लैवल पर है और यह सांस के रोग पैदा कर सकती है। अगर यह 401-500 हो तो मतलब हवा में बेहद खतरनाक अंश मौजूद हैं जो सांस लेने में कई गंभीर बीमारियां पैदा कर सकते हैं।


पराली जलाने से रोकने पर जोर, कूड़ा जलाने व वाहनों का प्रदूषण मामले में सरकार फेल : किसान नेता
उधर, किसान नेता सरकार से खफा हैं कि सरकार एकतरफा कार्रवाई कर रही है। प्रदूषण के लिए अगर किसान ही जिम्मेदार होते तो आज भी दिल्ली का प्रदूषण स्तर कैसे बढ़ा हुआ है। सरकार किसानों पर डंडा चला रही है पर कूड़ा जलाने और वाहन ट्रैफिक प्रदूषण के मामलों पर शिकंजा कसने में सरकार बुरी तरह फेल रही है। शहरों में अंधाधुंध चलने वाले ऑटोज व बसों पर सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही।फैक्टरी संचालकों द्वारा प्रदूषण संबंधीनियमों का बिल्कुल पालन नहीं किया जा रहा पर क्योंकि वे सरकार व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कर्मचारियों की जेबें भर देते हैं व उन्हें अनदेखा करके पंजाब सरकार एन.जी.टी. की आंखों में धूल झोंकने के लिए किसानों पर ही शिकंजा कस रही है। 

पंजाब व दिल्ली के ए.क्यू.आई. आंकड़ों में है काफी अंतर
पंजाब और दिल्ली के ए.क्यू.आई. आंकड़ों में काफी अंतर देखा जा रहा है जिससे सवाल उठने लगे हैं कि क्या सिर्फ पंजाब के किसानों को वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराना ठीक है।


धान की फसलों के नुक्सान से कम हुई पराली
वहीं दूसरी ओर हर शहर में किसी न किसी गांव में पराली जलाने के केस सामने आ रहे हैं। आंकड़ों की मानें तो अभी तक पी.पी.सी.बी. के पास पराली जलाने के 900 से ’यादा मामले आ चुके हैं पर इसके लिए कृषि विभाग के अधिकारियों की मानें तो पराली जलाने के केस कम जरूर हुए हैं पर इसका एक कारण यह भी है कि गत दिनों मौसम में आई खराबी के कारण धान की फसल का भारी नुक्सान हुआ जिस कारण पराली कम हुई है। आने वाले दिनों मे भी मौसम खराब रहने की शंका के बीच पराली कम होने के आसार हैं, जिससे पराली जलाने के केस भी कम होंगे। वैसे पिछले साल विभाग के पास पराली जलाने के 2200 केस दर्ज हुए थे। अभी तक सरकार द्वारा पराली जलाने वाले &40 किसानों से 10 लाख के करीब जुर्माना वसूला जा चुका है।
 


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