9 लाख किसान परिवारों ने झेला सरकारी लापरवाही का दंश

punjabkesari.in Thursday, Oct 18, 2018 - 11:11 AM (IST)

शिमला (देवेंद्र हेटा): सरकारी उपक्रम एग्रो इंडस्ट्री की लापरवाही की मार प्रदेश के 9 लाख से अधिक किसान परिवारों ने झेली है। एग्रो इंडस्ट्री बीते 7 माह से कीटनाशकों के रेट कांट्रैक्ट नहीं कर पाया। इस वजह से किसानों को अनुदान पर मिलने वाली सस्ती दवाइयां नहीं मिल पाईं। किसानों को मजबूरन बाजार से 2 से 3 गुणा महंगे दाम पर स्प्रे के लिए दवाइयां खरीदनी पड़ीं। हालांकि सरकार ने कीटनाशकों पर सबसिडी के लिए लगभग 5 करोड़ के बजट का प्रावधान कर रखा था। कीटनाशकों के अलावा स्प्रेयर, प्रूनिंग कैंची जैसे कृषि औजारों की भी एग्रो इंडस्ट्री टैंडर नहीं कर पाया। इस वजह से किसान-बागवान मायूस हैं। 

सूत्रों की मानें तो कृषि और बागवानी महकमे में खरीफ सीजन से पहले ही एग्रो इंडस्ट्री को कीटनाशकों की खरीद के लिए आवेदन कर दिया था ताकि किसानों को समय पर सस्ती दवाइयां उपलब्ध करवाई जा सकें। एग्रो इंडस्ट्री वित्त वर्ष के लगभग 7 माह में मुश्किल से 50 फीसदी दवाइयों का ही रेट कांट्रैक्ट कर पाया है, वो भी कुछ ही दिन पहले किया जा सका है। रेट कांट्रैक्ट एग्रो इंडस्ट्री करता है और कीटनाशकों की खरीद कृषि व बागवानी महकमे को करनी होती है। रेट कांट्रैक्ट किए बगैर दोनों विभाग दवाइयां नहीं खरीद सकता। 

हैरानी इस बात की है कि खरीफ सीजन कुछ दिन पहले खत्म हो गया है। अभी भी कुछ दवाइयों के रेट कांट्रेक्ट नहीं हो पाए हैं। मतलब सरकारी तंत्र की लापरवाही में सीधे-सीधे किसान पिस रहा है। खरीफ सीजन में कीटनाशकों की सबसे ज्यादा जरूरत अप्रैल से अगस्त माह के बीच रहती है। इस दौरान फूलगोभी, मटर, फ्रांसबीन, गेहूं, आलू, सेब, आम, अनार व जैसे तमाम फलों एवं सब्जियों के लिए इनका छिड़काव किया जाता है लेकिन कृषि और बागवानी विभाग के पास सीजन के दौरान चुनिंदा दवाइयां ही उपलब्ध थीं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Ekta

Recommended News

Related News