संयुक्त राष्ट्र का रिर्पोट में दावा, अपनी बच्चियों को बेच रहे हैं रोहिंग्या शरणार्थी

punjabkesari.in Wednesday, Oct 17, 2018 - 04:01 PM (IST)

संयुक्त राष्ट्रः बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या करीब 10 लाख पहुंच गई है और म्यांमा से आने वाले शरणार्थी अपनी युवतियों को बंधुआ मजदूरी के लिए बेच रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र प्रवास एजेंसी (आईओएम) ने मंगलवार को कहा कि थोड़े से पैसे पाने की बेचैनी और हताशा में परिवार अपनी बच्चियों को बेहद खतरनाक माहौल में काम करने के लिए भेज रहे हैं। आईओएम का कहना है कि जो महिलाएं और बच्चियां इस बंधुआ मजदूरी में फंसी हुई हैं उनमें से दो-तिहाई कॉक्स बाजार में संयुक्त राष्ट्र से मिलने वाली सहायता का लाभ ले रहे हैं। करीब 10 प्रतिशत बच्चियां और महिलाएं यौन उत्पीडऩ की भी शिकार हैं।
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संस्था का कहना है कि पुरुष और बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं और जबरन श्रम कार्यों में लगे करीब एक तिहाई शरणार्थी रोङ्क्षहग्या हैं। आईओएम का कहना है कि काम और बेहतर जीवन के झूठे वादों के बावजूद उन्हें कोई कदम बहुत कठोर नहीं लगता है। कुछ पीड़ितों को तो इससे जुड़े खतरों की जानकारी नहीं है या फिर वह अपने हालात से इस कदर परेशान हो चुके हैं कि उन्हें कुछ भी कठोर नहीं लगता।
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कॉक्स बाजार में सुरक्षा सेवाओं की आईओएम प्रमुख डिना पारमेर का कहना है कि पूरे परिवार के लिए परिवार के एक सदस्य की कुर्बानी देना, ही तर्क है। एजेंसी का कहना है कि बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या करीब 10 लाख पहुंच गई है।  अगस्त 2017 से शुरू हुए इस संकट के बाद से आईओएम के तस्करी निरोधी और सुरक्षा कर्मचारियों ने करीब 100 लोगों को तस्करों के चुंगल से छूट कर कॉक्स बाजार वापस आने में मदद की है। 
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Isha

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