Kundli Tv- यहां गिरा था देवी सती का हृदय

punjabkesari.in Wednesday, Oct 17, 2018 - 03:24 PM (IST)

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आज यानि 17 अक्टूबर 2018 को नवरात्र की अष्टमी है। वैसे तो मां के मंदिरों में रोज़ाना ही भीड़ देखने को मिलती है, लेकिन नवरात्रों में मां के शक्तिपीठों में भक्तों का नज़ारा देखने लायक होता है। लोग इन नौ दिनों मां के विभिन्न शक्तिपीठों में उनके दर्शन करने जाते हैं। बता दें कि जहां मान्यताओं के अनुसार जब विष्णु भगवान ने भोलेनाथ के क्रोध से ब्रह्मांड को बचाने के लिए देवी सती के 51 टुकड़े कर दिए थे जिसके बाद जहां भी देवी सती के गहने और शरीर के अंग गिरे वो स्थान शक्तिपीठ कहलाए।
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आज हम आपको 51 शक्तिपीठों में से ऐसे प्रमुख शक्तिपीठ के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके दर्शन मात्र से आपके सभी कष्ट, दुख दूर हो जाते हैं और मां अपने हर एक भक्त की झोली खुशियों से भर देती हैं। आइए जानें इस अनूठे शक्तिपीठ के बारे में जहां पर देवी सती का ह्रदय गिरा था। कहा जाता है कि ये एक ऐसा शक्तिपीठ जहां आज भी मां का ह्रदय धड़कता है।
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सीतापुर के नैमिषारण्य में स्थित ललिता देवी मंदिर वहीं मंदिर कहलाता है जहां माता सती का ह्रदय यानि दिल गिरा था। बता दें कि नैमिषारण्य तीर्थ ऋषि मुनियों की तपोभूमि माना जाता है। इस स्थान पर एक चक्र तीर्थ भी है। मान्यताओं के मुताबिक इस चक्र तीर्थ में भगवान विष्णु का चक्र गिरा था। पौराणिक कथाओं के अनुसार चक्र तीर्थ में स्नान करने वाले मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं।
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नैमिषारण्य में ही माता ललिता देवी का प्रसिद्ध धाम है। इस मंदिर की एक खास बात ये भी है कि यहां जो भी मां का भक्त अपने मन में सच्ची श्रद्धा भाव से आता है वो कभी खाली हाथ नहीं लौटता है, मां उसकी सभी मन्नते ज़रूर पूरी करती हैं। यहां पर मां के भक्त अपनी मन्नते पूरी होने तक एक धागा वहीं मंदिर में बांध देते हैं और फिर मन्नत पूरी होने के बाद उस धागे को उतार देते हैं। साथ ही कुछ लोगों का मानना है कि माता ललिता को भेंट चढ़ाने से मां जल्द ही फल देती हैं।
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इस शक्ति पीठ पर यूं तो पूरे साल श्रद्धालुओं के दर्शन पूजन का क्रम बना रहता है, लेकिन नवरात्र में विशेष पूजन के कारण भक्तों की संख्या में कई गुना इजाफा हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर देवी सती का ह्रदय गिरा था। बता दें कि भगवान विष्णु ने इस ब्रह्मांड को भोलेनाथ के क्रोध से बचाने के लिए देवी सती के 51 टुकड़े कर दिए थे और फिर देवी सती का हृदय इस जगह पर आकर गिरा। इस शक्तिपीठ में स्थापित देवी को त्रिपुर सुंदरी, राज राजेश्वरी और ललिता मां के नाम से भी जाना जाता है।
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Jyoti

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