इलाहाबाद का नाम हुआ प्रयागराज, जानिए इसके पीछे का पूरा इतिहास

punjabkesari.in Tuesday, Oct 16, 2018 - 03:58 PM (IST)

इलाहाबादः योगी सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इलाहाबाद के नाम बदलने का प्रस्ताव पास हुआ। इलाहाबाद का नाम बदलने को लेकर कई बार मांग की गई थी। इसी सिलसिले में सितंबर 2017 में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने सीएम से मुलाकात भी की थी, जिसके बाद इलाहाबाद आए योगी को जब परिषद ने पुराना वादा याद दिलाया तो योगी ने आधिकारिक घोषणा करने का आश्वासन दिया। गिरि महाराज का कहना है कि प्रयागराज नाम ही यहां की असल पहचान है। हमने हमेशा और हर जगह प्रयाग शब्द को ही संबोधित किया है।

PunjabKesariजानिए, प्रयागराज का पूरा इतिहास
जानकारी के मुताबिक, 444 साल बाद इलाहाबाद का नाम फिर से प्रयागराज हुआ है। पुराणों में इसका नाम प्रयागराज ही था। रामचरित मानस में इस शहर को प्रयागराज कहा गया है। कहा जाता है कि जंगल जाते समय भगवान श्रीराम प्रयाग में भारद्वाज ऋषि के आश्रम पर होते हुए गए थे। जब श्रीराम पहुंचे तो प्रयागराज का वर्णन हुआ। वहीं मत्स्य पुराण में भी इसका वर्णन है। उसमें लिखा गया है कि प्रयाग प्रजापति का क्षेत्र है जहां गंगा और यमुना बहती है। इसलिए इसका नाम प्रयागराज पड़ा था।

PunjabKesariइलाहाबाद विश्वविद्यालय मध्यकालीन इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. योगेश्वर तिवारी बताते हैं कि अकबर 1573 ईसवीं के आस-पास यहां आया था। अपनी सल्तनत के विस्तार के तहत अकबर ने संगम तट पर किले का निर्माण कराया। किला निर्माण के दौरान अकबर ने अपने प्रवास काल में नगर का नाम प्रयाग से बदलकर इलाहाबाद रख दिया था। उन्होंने कहा कि फिर से प्रयागराज नाम रखना गौरव की बात है।

यह कहना है जानकारों का
जानकारों के मुताबिक, इलाहाबाद को प्रयाग इसलिए कहा गया है कि वह समस्त तीर्थों में सर्वोत्तम और उत्कृष्ट तीर्थ है। देवताओं की यज्ञभूमि होने के कारण उसे प्रयाग कहा गया है। यज्ञादिक और दान-पुण्य के सर्वथा उपयुक्त समझकर स्वयं विष्णु भगवान और त्रिलोकपति शंकर ने प्रयाग नाम दिया था। 

PunjabKesariक्या कहना है मशहूर योग गुरु का?
देश के मशहूर योग गुरु योगी सत्यम का कहना है कि दोनों ही नाम से इस शहर की पहचान पूरे विश्व में होगी क्योंकि दोनों शब्दों का एक ही अर्थ निकलता है। इस देश में सभी धर्मों के लोग रहते हैं, इसलिए नाम बदलने से कोई फर्क नहीं पड़ता। 

PunjabKesariराजनीतिक स्टंट मान रहे सामाजिक कार्यकर्ता
इस फैसले को सामाजिक कार्यों से जुड़े लोग केवल राजनीतिक स्टंट मान रहे हैं। शहर के जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता सुनील चौधरी का कहना है कि नाम बदलने से कुछ नहीं होगा बल्कि पैसे की बर्बादी ही होगी। बदलाव से कई तरह की परेशानी लोगों के सामने आएगी। दस्तावेज बदले जाएंगे, कई करोड़ रुपये बेवजह बर्बाद होंगे।
 


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Deepika Rajput

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