सरकार धान की बिजाई की तारीख 1 जून  दोबारा करे या नमी की मात्रा 20 प्रतिशत बढ़ाए

punjabkesari.in Tuesday, Oct 16, 2018 - 01:47 PM (IST)

सुल्तानपुर लोधी(धीर): यदि सरकार ने अगले वर्ष से धान लगाने की तारीख 1 जून दोबारा या नमी की मात्रा 20 प्रतिशत न तय की तो धान की पराली को आग लगाने के साथ-साथ उसको धान लगाने की समस्या से भी जूझना पड़ेगा। उक्त शब्दों का प्रकटावा आज गत 3 दिनों से मंडी में धान लेकर आए किसान तरसेम सिंह नूरोवाल, जरनैल सिंह पाजियां, शिंगारा सिंह जैनपुर, बलविंद्र सिंह पाजियां, संतोख सिंह गिला, गुलजार सिंह गिला, स्वर्ण सिंह जब्बोवाल ने रोष जाहिर करते हुए किया। उन्होंने बताया कि मौसम में परिवर्तन होने के कारण धान में नमी की मात्रा कम होने का नाम नहीं ले रही है और प्रत्येक धान की कटाई के बाद उसमें 20 और 22 प्रतिशत नमी आ रही है, जिसको सरकार की कोई भी खरीद एजैंसी नहीं खरीद रही। किसानों ने कहा कि सरकार की ओर से 1 जून, फिर 10 जून व अब 15 जून से 20 जून धान लगाने की तारीख तय की है। इससे किसानों की ओर से लगाई धान की किस्में जो खेतीबाड़ी विभाग के अनुसार ही है, वे पूरी तरह से तैयार नहीं हो रही हैं। 

उन्होंने बताया कि इस समय धान की किस्म 121, 127, 47  लग रही है, जबकि पुशा किस्म बिल्कुल बंद हो गई है। किसानों ने बताया कि सुबह व रात के समय त्रेल अधिक पडऩे के कारण धान में नमी की मात्रा कम नहीं हो रही है। भले ही किसान जितनी मर्जी दिन के समय धूप में धान की कटाई करवा ले। धान लगाने के बाद उसको मंडियों में नमी कम करने के लिए फैलाना पड़ता है, जिसके बाद 3 दिन बाद उसमें नमी कम होती है। इस कारण किसान को कम से कम 100 रुपए प्रति क्विंटल का चूना लग रहा है। किसानों की तो पहले ही आॢथक हालत दयनीय है, यदि उसको 10 रुपए प्रति क्विंटल  का फसल से नुक्सान पड़ गया, तो उसकी स्थिति ओर नाजुक हो जाएगी और वह फिर से आत्महत्या के रास्ते पर चलने लगेगा। उन्होंने बताया कि अभी तक तो किसान पराली को आग लगाए या न लगाए की समस्या में ही उलझ गया है और यदि ऐसे हालात धान की बिजाई में आ गए, तो सरकार को भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। किसानों ने कहा कि सरकार को अफसर साही के कहने पर नहीं, बल्कि खुद फील्ड में जाकर हकीकत देख कर कोई भी फैसला किसानों के प्रति करना चाहिए। किसानों ने बताया कि धान लगाने से पानी की खपत अधिक होती है, की धारणा ने हमारा यह खेल बिगाड़ दिया है, जबकि धान से अधिक मक्की की फसल को पानी की अधिक जरूरत पड़ती है। उन्होंने सरकार से मांग की कि किसानों की बेहतरी के लिए अगले वर्ष से धान की बिजाई की तारीख 1 जून की जाए या फिर धान में नमी की मात्रा 20 फीसदी कम से कम की जाए, ताकि किसान को कोई आर्थिक नुक्सान न झेलना पड़े। 

‘मौसम के परिवर्तन से धान की नमी में नहीं आ रही कमी’
इस बारे में आढ़ती पूर्व चेयरमैन मार्कीट कमेटी बलदेव सिंह, परमजीत पुर ने कहा कि मौसम में हुए परिवर्तन के कारण धान में नमी की मात्रा कम नहीं हो रही है। इसके कारण जब किसानों की फसल को प्राइवेट बेचना हो, तो दाम कम मिलता है और किसानों का गुस्सा हम पर निकलता है और वे कई बार धान किसी अन्य जगह पर फैंक देते हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से भी किसानों की हालत देखते हुए धान में नमी की मात्रा को 20 प्रतिशत करने की मांग की, ताकि किसान और आढ़ती किसी को भी परेशानी न आए। 


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