जेल में तीन दशक काटने के बाद भी ‘जिंदा रहा प्यार’
punjabkesari.in Monday, Oct 15, 2018 - 02:52 AM (IST)
डकैती व हत्या के मामले में वेल्लूर जेल में तीन दशक काटने के बाद एक दम्पति 6 अक्तूबर को फिर से एक हो गया। सुब्रमणि और विजया, जिनकी उम्र अब 60 से ऊपर है, तिरुपुर के लिए रवाना हो गए जहां वे फिर से अपनी नई जिंदगी शुरू करेंगे।
तिरुपुर के नचिपलयम गांव के सुब्रमणि के लिए यह पहली नजर का प्यार था जब उसने श्रीलंका की लोक कलाकार विजया को देखा था। विजया, जिसे ‘पक्का’ के नाम से जाना जाता है, ने अब प्यार का उत्तर दिया है। हालांकि सुब्रमणि अमीर परिवार से ताल्लुक रखता था परन्तु उसने धन के बजाय प्यार को प्राथमिकता दी और उसके साथ रहना शुरू कर दिया।
1987 में एक बार जब वे दोनों सुलूर में सड़क के किनारे सोए हुए थे तो एक व्यक्ति ने नशे में विजया के साथ यौन दुव्र्यवहार करने की कोशिश की। यह जोड़ा अपने बचाव में उस नशेड़ी से भिड़ गया परन्तु सुब्रमणि का कहना है कि इस झगड़े में उस व्यक्ति की मौत हो गई। पुलिस ने इस जोड़े को हत्या और डकैती के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। कोई कानूनी सहायता और रिश्तेदारों से कोई सहायता न मिलने के कारण कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुना दी और इस प्रकार सुब्रमणि तथा विजया क्रमश: पुरुषों की वेल्लूर सैंट्रल जेल तथा वेल्लूर स्पैशल महिला जेल में पहुंच गए।
राजीव गांधी हत्याकांड की दोषी नलिनी के वकील की सहायता से इस जोड़े को जेल विभाग से हर 15 दिन में एक बार मिलने की अनुमति मिल गई। 2013 में विजया रिहा हो गई और वह उन लोगों के लिए बनाए गए घर में रही जो सीखने में कमजोर लोगों के लिए बना था। 6 अक्तूबर को जब सुब्रमणि रिहा हुआ तो उसे उस घर में ले जाया गया जहां विजया रह रही थी। सुब्रमणि को देखते ही विजया बच्चों की तरह उसकी तरफ दौड़ी और उसने उसके हाथ कस कर पकड़ लिए। सुब्रमणि ने कहा, ‘‘हमें अपने बचाव में उठाए गए कदम के लिए सजा दी गई। मेरी विजया का दुनिया में कोई नहीं है। मैं उसकी देखभाल करूंगा और उसके लिए जीऊंगा।’’-एस. सुंदरम जे.