मिलिए देश की सबसे अकेली बुजुर्ग महिला से, ऐसे देती हैं जिंदा रहने का सबूत

punjabkesari.in Sunday, Oct 14, 2018 - 05:41 PM (IST)

कांगड़ा: एक तो बुढ़ापा और ऊपर से यह अकेली जिंदगी। कुछ ऐसी ही कहानी है 87 साल की कौशल्या देवी की जोकि देश की सबसे अकेली बुजुर्ग महिला हो सकती हैं। हर दिन शाम ढलते ही वह एक खाली कागज को कड़ी मेहनत से फोल्ड करके अपने घर की जर्जर खिड़की पर चिपकाती हैं। सुबह होते ही सबसे पहले वह इस कागज को खिड़की से हटाती हैं और तब जाकर उनके पड़ोसी राहत की सांस लेते हैं कि सब कुछ ठीक है। अब वह अपने अगले दिन की शुरूआत कर चुकी हैं।

कांगड़ा जिला के जलादी गांव में रहती हैं कौशल्या
कौशल्या देवी हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला के शाहपुर कस्बे से करीब 20 किलोमीटर दूर जलादी गांव में रहती हैं। यहां जिंदगी इतनी आसान नहीं है। यह गांव हिमालय के निचली पहाडिय़ों पर 600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। कौशल्या देवी को यहां दिन बिताने में दोगुनी मुश्किल होती है। एक तो वह विधवा हैं और दूसरा वह अकेले यहां रहती हैं। इसलिए खिड़की पर कागज चिपकाकर अपने जिंदा रहने का संकेत देती हैं। कौशल्या देवी जब भी गंभीर रूप से बीमार पड़ जाती हैं तब उनके पड़ोसी चम्बा में ब्याही उनकी बेटी को बुला लाते हैं।

पति की हो चुकी है मौत, बेटा है लापता
कौशल्या के पति जोकि पेशे से मजदूर थे, उनकी 8 साल पहले मौत हो गई थी। उनका 47 साल का बेटा बुधी सिंह इसके 3 साल बाद घर छोड़कर चला गया था जो अब तक नहीं लौटा। कौशल्या देवी अपने इस टूटे-फूटे मकान में ज्यादातर समय अकेले बिताती हैं। उम्र के साथ-साथ शरीर कमजोर होने लगता है और जुबान भी लडख़ड़ाने लगती है। वह लडख़ड़ाती आवाज में कहती हैं, ‘‘मैं अपने बेटे के लिए सबसे ज्यादा चिंतित हूं। मैं उसके बारे में आसपास के लोगों से पूछती रहती हूं’’।

ऐसे शुरू हुआ खिड़की पर पेपर चिपकाने का सिलसिला
उनके द्वारा खिड़की पर पेपर को मोड़कर चिपकाकर अपने ठीक होने के संकेत देने का सिलसिला उस दिन से शुरू हुआ जिस दिन वह काफी बीमार पड़ गईं थीं। वह अपने करीबी पड़ोसी तक पहुंचने में भी असमर्थ थीं। उस दिन मौके पर एक पड़ोसी उनके पास आया और उनकी स्थिति के बारे में जायजा लिया तथा इस तरह करने का निर्णय लिया।

आर्थिक मदद की उम्मीद
इस असहाय बुजुर्ग महिला के बारे में इसी साल अगस्त महीने में फेसबुक पर लिखने वाले सामाजिक कार्यकर्ता संजय शर्मा ने बताया, ‘‘कौशल्या का घर बुरी स्थिति में है। उनके पड़ोसी ही उनके स्थायी रूप से मददगार हैं। मैं उम्मीद कर रहा हूं कि उन पर जिन लोगों ने ध्यान देना शुरू किया है उससे उन्हें कुछ आर्थिक मदद भी मिल सके’’।

कौशल्या के जीवन पर बनेगी डॉक्युमैंट्री
वहीं मुंबई निवासी फिल्ममेकर विवेक मोहन उनकी जिंदगी पर एक शॉर्ट फिल्म बनाने की सोच रहे हैं। वह बताते हैं, फिल्म का नाम होगा-बस स्टॉप। उन्होंने बताया कि मुझे जो चीज आश्चर्यचकित करती है वह है उनका सम्मानजनक मृत्यु के लिए इच्छा रखना। वह दुनिया से बिल्कुल एकाकी जीवन बिताती हैं। एक छोटे से गांव में रहती हैं लेकिन हर सुबह खिड़की पर पेपर चिपकाकर अपने ठीक होने का संकेत देती हैं।


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Vijay

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