दुनिया का एकमात्र मंदिर, जहां मरने के बाद पहुंचती हैं आत्माएं (PICS)

punjabkesari.in Sunday, Oct 14, 2018 - 05:19 PM (IST)

चंबा (मोहम्मद आशिक): एक मंदिर ऐसा है जहां मरने के बाद हर किसी को जाना ही पड़ता है, चाहे वह आस्तिक हो या नास्तिक। इस मंदिर में हर किसी को हाजिरी भरनी ही पड़ेगी। बाकायदा कचहरी लगेगी और आपको जीवन में कमाए पाप-पुण्यों का हिसाब-किताब भी देना पड़ेगा। मौत के देवता का फैसला आने के बाद ही तय होगा कि आपको किस दरबार से होकर स्वर्ग या नर्क में जाना है। जी हां, चंबा जिला के जनजातीय क्षेत्र भरमौर स्थित चौरासी मंदिर समूह में संसार के इकलौते धर्मराज महाराज या मौत के देवता के मंदिर को लेकर कुछ ऐसी ही मान्यता है। रोचक तथ्य यह है कि इस मंदिर की स्थापना के बाबत किसी को भी सही जानकारी नहीं है। बस इतना जरूर है कि चंबा रियासत के राजा मेरू वर्मन ने छठी शताब्दी में इस मंदिर की सीढ़ियों का जीर्णोद्वार किया था। 
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इसके अलावा, इस मंदिर की स्थापना को लेकर अभी तक किसी को कोई जानकारी नहीं है। मान्यता है कि धर्मराज महाराज के इस मंदिर में मरने के बाद हर किसी को जाना ही पड़ता है, चाहे वह आस्तिक हो या नास्तिक। इस मंदिर में एक खाली कमरा है, जिसे चित्रगुप्त का कमरा माना जाता है। चित्रगुप्त जीवात्मा के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। मान्यता है कि जब किसी प्राणी की मृत्यु होती है, तब धर्मराज महाराज के दूत उस व्यक्ति की आत्मा को पकड़ कर सबसे पहले इस मंदिर में चित्रगुप्त के सामने पेश करते हैं। उनको उनके कर्मों का पूरा लेखा-जोखा देते हैं। इसके बाद चित्रगुप्त के सामने के कक्ष में आत्मा को ले जाया जाता है। इस कमरे को धर्मराज की कचहरी कहा जाता है। यहां पर यमराज कर्मों के अनुसार आत्मा को अपना फैसला सुनाते हैं। 
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यह भी मान्यता है कि इस मंदिर में चार अदृश्य द्वार हैं, जो स्वर्ण, रजत, तांबा और लोहे के बने हैं। धर्मराज का फैसला आने के बाद यमदूत आत्मा को कर्मों के अनुसार इन्हीं द्वारों से स्वर्ग या नर्क में ले जाते हैं। गरुड़ पुराण में भी यमराज के दरबार में चार दिशाओं में चार द्वार का उल्लेख किया गया है। भरमौर स्थित धर्मराज का मंदिर संसार का इकलौता मंदिर है और जहां धर्मराज महाराज पिंडी के रूप में विराजमान है। यहां पर 84 मंदिर हैं और एक मंदिर के दर्शन करने से मनुष्य की एक लाख योनियां कट जाती है। 84 लाख योनियों को भोगने के बाद आत्मा को मनुष्य योनि में जन्म मिलता है। मनुष्य के मरने के बाद पाप-पुण्य का सारा लेखा-जोखा यहां आकर चुकता करना पड़ता है। बाहर चित्रगुप्त बैठे हैं और आत्मा वहां खड़ी होती है। धर्मराज महाराज जी पूछते है कि कितना पाप-पुण्य है। हमारे चार वेद, 18 पुराण और चार दिशाएं है। चार दिशाओं में चार दरवाजे हैं। जैसा-जैसा कर्म आत्मा ने किया होगा, उसी के मुताबिक दरवाजा खुलेगा और आत्मा उसी में प्रवेश करेगी।
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क्या कहते हैं स्थानीय लोग 
वहीं दूसरी तरफ, भक्तों का कहना है कि यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां मरने में बाद आत्माओं को अपना लेखा-जोखा देने के बाद यहां से जाने की इजाजत मिलती है। जब आदमी मर जाता है तो उनकी आत्मा धर्मराज की कचहरी में आती हैं। ये कोई झूठी बात नहीं, बल्कि सच्चाई है। कई बार ऐसा हुआ कि जो व्यक्ति मर गया होता है, वह रास्ते में मिलता है, लेकिन जब घर आ कर देखते हैं तो पता चलता हैं कि यह व्यक्ति तो दो साल पहले मर चुका है। 


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Ekta

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