मूल्य नियंत्रण से बाहर हों ओटीसी दवाएं

punjabkesari.in Saturday, Oct 13, 2018 - 03:27 PM (IST)

मुंबईः दवा विनिर्माता का कहना है कि सरकार डॉक्टरी पर्चे के बिना बिकने वाली यानी ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दवाओं को मूल्य नियंत्रण के दायरे से बाहर रखे और उसके विज्ञापन पर पाबंदियां हटाए। घरेलू एवं विदेशी दवा विनिर्माताओं द्वारा गठित एक कार्यबल ने यह सिफारिश की है। 

ऑर्गेनाइजेशन ऑफ फार्मास्युटिकल प्रोड्यूसर्स ऑफ इंडिया (ओपीपीआई) ने आज कहा कि ओटीसी उत्पादों की बिक्री के लिए फिलहाल कोई विशेष कायदा-कानून मौजूद नहीं है और इससे रोगी सुरक्षा व पहुंच दोनों प्रभावित हो रही है। ओटीसी दवाओं की बिक्री को विनियमित करने के लिए एक नीति तैयार करने संबंधी सरकार के प्रस्ताव के जवाब में ये सिफारिश की गई हैं।

बुखार और दर्द जैसी सामान्य समस्याओं के उपचार के लिए विदेश में कई दवाओं को ओटीसी के तौर पर बेची जाती हैं लेकिन भारत में उनके लिए पर्चे की जरूरत होती है। आयुर्वेदिक उत्पादों के लिए दवाओं की बिक्री के लाइसेंस की जरूरत नहीं होती है और उनकी बिक्री बिना मूल्य नियंत्रण के निर्धारित स्टोरों में की जा सकती है। निकोलस हॉल के वैश्विक ओटीसी बिक्री आंकड़ों के अनुसार, साल 2016 में भारत का ओटीसी बाजार का आकार 8 फीसदी बढ़कर 2.7 अरब डॉलर हो गया और 5 वर्षों के दौरान उसने 9 फीसदी सीएजीआर से वृद्धि दर्ज की। 

वैश्विक दवा विनिर्माताओं की प्रतिनिधि संस्था ओपीपीआई ने दवाओं के वर्गीकरण, लेबलिंग, वितरण एवं मूल्य निर्धारण संबंधी मानदंड सुझाए हैं। उसने सुझाव दिया है कि सर्दी, खांसी, दर्ज, एलर्जी, चर्म संक्रमण आदि की पर्चे वाली दवाओं को ओटीसी श्रेणी में रखा जाए। इन बिक्री के लिए उसने नए लाइसेंसिंग मानदंड सुझाए हैं।


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jyoti choudhary

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