Warning: दुनिया पर मंडरा रहा सबसे बड़ा खतरा, बचा है सिर्फ इतना वक्त

punjabkesari.in Tuesday, Oct 09, 2018 - 12:59 PM (IST)

केनबराः  वैश्विक जलवायु अव्यवस्था को लेकर एक एेसी ऐतिहासिक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें दुनिया के अस्तित्व पर मंडरा रहे सबसे बड़े खतरे का संकेत दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अभूतपूर्व स्तर की वैश्विक जलवायु अव्यवस्था से बचने के लिए दुनिया को अपनी अर्थव्यवस्था और समाज में बड़ा बदलाव लाना होगा। इसमें भारत पर सबसे ज्यादा पड़ने वाले दुष्प्रभाव के बारे में भी बताया गया है। इसमें कहा गया है कि  अगर 12 साल में  इंवायरमेंट प्लानिंग को लेकर सही कदम नहीं उठाए गए तो दुनियै का सवर्नाश रोकना मुश्किल हो जाएगा।
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इसमें कहा गया है कि आपदा से बचाव के लिए समय तेजी से बीतता जा रहा है। धरती की सतह का तापमान पहले ही एक डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है और यही जानलेवा तूफानों, बाढ़ और सूखे की स्थितियां पैदा करने के लिए काफी है। तापमान में यह बढ़ोतरी तेजी से तीन से चार डिग्री की ओर बढ़ रही है और अगर ऐसा हुआ तो जीवन दुश्वार हो जाएगा।रिपोर्ट के मुताबिक, 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा के नीचे रहने की आधी-आधी संभावना के लिए दुनिया को 2050 तक हर हालत में 'कार्बन न्यूट्रल' बनना होगा। इसे समझाते हुए यूनीवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के क्लाइमेट रिसर्च प्रोग्राम के प्रमुख माइल्स एलन ने बताया कि जितनी कार्बन डाई ऑक्साइड वातावरण में उत्सर्जित की जाए, उतनी ही कार्बन डाई ऑक्साइड को खत्म भी किया जाए।

PunjabKesariइंटर गवर्नमेंटल पैनल फॉर क्लाइमेट चेंज (आइपीसीसी) ने बेहद विश्वास के साथ अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन अगर इसी रफ्तार से जारी रहा तो कम से कम 2030 और अधिकतम 2050 तक धरती के तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हो जाएगी।  आइपीसीसी के सह-अध्यक्ष और दक्षिण अफ्रीका के डरबन में इंवायरमेंट प्लानिंग एंड क्लाईमेट प्रोटेक्शन डिपार्टमेंट के प्रमुख डेबरा रॉब‌र्ट्स ने बताया कि मानव इतिहास में संभवत: अगले कुछ साल बेहद अहम हैं।
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नीति निर्धारकों की 400 पृष्ठों की इस रिपोर्ट में इस बात को रेखांकित किया गया है कि ग्लोबल वार्मिग ने किस तरह उस पर नियंत्रण पाने के मानवता के प्रयासों को विफल कर दिया है। साथ ही इसमें जलवायु परिवर्तन से भविष्य में होने वाले खराब से खराब विनाशों से बचने के विकल्प बताए गए हैं।
 आइपीसीसी के ही एक सह-अध्यक्ष और इंपीरियल कॉलेज लंदन के सेंटर फॉर इंवायरमेंटल पॉलिसी में प्रोफेसर जिम स्किया ने कहा, 'हमने अपना काम कर दिया है, हमने संदेश पहुंचा दिया है। अब यह सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे इस पर कार्रवाई करें।'PunjabKesariइस रिपोर्ट में भारत के कोलकाता शहर और पाकिस्तान के कराची शहर का भी जिक्र किया गया है। चेतावनी जारी की गई है कि यहां गर्म हवाओं का सबसे अधिक खतरा होगा। रिपोर्ट में लिखा है, 'कराची और कोलकाता को साल 2015 जैसे गर्म थपेड़ों का सामना करना पड़ सकता है। जलवायु परिवर्तन की वजह तापमान में लगातार इजाफा हो रहा है।' साथ ही, गर्म हवाओं के कारण होने वाली मौतें भी बढ़ रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण गरीबी भी बढ़ेगी। इसमें लिखा है, 'ग्लोबल वॉर्मिंग को दो डिग्री सेल्सियस की बजाय 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रोकने से 2050 तक करोड़ों लोग जलवायु परिवर्तन से जुड़े खतरों, गरीबी में जाने से बच जाएंगे।' यह सीमा मक्का, धान, गेहूं व अन्य दूसरी फसलों में कमी को भी रोक सकती है।
 


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Tanuja

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