Kundli Tv- बजरंगबली के इन 5 मंदिरों के बारे में आप भी नहीं जानते होंगे

punjabkesari.in Monday, Oct 08, 2018 - 01:49 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें Video)

खेड़ापति हनुमान मंदिर-  

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भोपाल के छोला में स्थित खेड़ापति हनुमान मंदिर 600 साल पुराना है। इतने साल गुजर जाने के बाद भी लोगों की इस मंदिर में आस्था कम नहीं हुई है। दूर-दूर से लोग इस मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करने आते हैं। यहां के लोगों का कहना है कि जब भी किसी गांव में खेड़े को बसाते हैं तो तो हनुमान जी को याद करके उसकी स्पथाना की जाती है। मंदिर से जुड़ा एक चमत्कार है कि इसके पास से गुजरने वाली ट्रेन का अचानक रुक जाना। माना जाता है कि इस मंदिर के पास पहुंचते ही लोको पायलट को ऐसा लगता है कि जैसे कोई उसे ट्रेन की रफ्तार कम करने के लिए बोल रहा हो और अगर लोको पायलट इस आवाज़ को अनसुना कर ट्रेन की रफ्तार कम नहीं करता है तो वो मंदिर के करीब पहुंचते ही ट्रेन की रफ्तार खुद-ब-खुद कम हो जाती है।

मरघटिया महावीर का मंदिर -
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भोपाल के शाहजहांनाबाद में स्थित मरघटिया महावीर का मंदिर 150 साल से भी अधिक पुराना बताया जाता है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां एक श्मशान हुआ करता था। नवाबी शासनकाल में यहां कुंए से हनुमान जी की प्रतिमा प्रकट हुई थी जिसे बाहर निकालकर इसकी स्थापना करके मंदिर की स्थापना की गई। यहां के पुजारी का कहना है कि वो मंदिर के अंदर स्थित कुंए से पवनसुत का जलाभिषेक करते हैं। इस मंदिर में हनुमान की बाल प्रतिमा विराजमान हैं। यहां आने बाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है।

बूढ़े हनुमान का मंदिर-
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बूढ़े हनुमान मंदिर की स्थापना 1964 से पहले हुई थी। यह मंदिर भोपाल के लालघाटी की एक गुफा में स्थित है। यह मंदिर बहुत पुराना है और यहां हनुमान जी वृद्ध स्वरूप में है। इस प्रतिमा के साथ एक और महावीर की प्रतिमा विराजमान हैं जिसे बड़े हनुमान के नाम से जाना जाता है। यहां हर साल हनुमान जयंती के दिनों में भक्तों की भीड़ देखी जाती है।

यहां ठहर गई थी हनुमान की प्रतिमा-
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हनुमान जी का यह प्रसिद्ध मंदिर भोपाल नए शहर लोहा बाज़ार में स्थित है। यह मंदिर 100 साल से भी पुराना है। इस मंदिर के बारे में मान्यता यह है कि एक बार इस गांव में खेत से हनुमान की दो प्रतिमाएं निकली थी। इन प्रतिमाओं को लेकर जब ग्रामीण गांव से बाहर जा रहे थे तो एक गाड़ी आगे बढ़ गई लेकिन दूसरी बैलगाड़ी इस स्थान से आगे न बढ़ी। बैल बदलने पर भी ये प्रतिमा इस स्थान से न आगे हुई न पीछे। फिर इस प्रतिमा को खींचने के लिए हाथी भी लाए गए लेकिन ये प्रतिमा टस से मस न हुई। लाख कोशिशों के बावजूद भी इसे आज तक कोई हिला न सका। इस बात की खबर शहर में फैल गई और यहां भीड़ इकट्ठा हो गई इसके बाद प्रतिमा की स्थापना इसी गांव में कर दी गई। इस प्रतिमा के दर्शन करने हज़ारो लोग आते हैं।

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Jyoti

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