Kundli Tv- क्यों एकलव्य को करना पड़ा इतना बड़ा Sacrifice

punjabkesari.in Monday, Oct 08, 2018 - 12:11 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें Video)

एकलव्य को महाभारत के मुख्य पात्रों में से एक माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार यह हिरण्य धनु नामक एक निषाद का पुत्र था। जिस कारण गुरु द्रोणाचार्य ने उसे  धनुर्विद्या देने से मना कर दिया था। माना जाता है कि इसके बाद एकलव्य ने अपने हाथों से द्रोणाचार्य की एक प्रतिमा बनाई और उसे ही अपना गुरू मान कर उसके सामने धनुर्विद्या का अभ्यास करने लगा और धीरे-धीरे धनुर्विद्या में निपुण हो गया। आइए जानते हैं महाभारत के इस अद्भुत पात्र से जुड़ी कुछ खास बातें-
PunjabKesari
आखिर क्यों द्रोणाचार्य ने मांगा एकलव्य का अंगूठा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पांडव और कौरव गुरु द्रोण के साथ उस वन में शिकार करने पहुंचे, जिस वन में एकलव्य धनुर्विद्या का अभ्यास करता था। कौरव-पांडवों का कुत्ता एकलव्य के आश्रम में जा पहुंचा और भौंकने लगा, जिस वजह से एकलव्य का ध्यान भटकने लगा। उसने अपने बाणों से कुत्ते का मुंह एेसे बंद किया कि उसे कोई चोट भी नहीं आई और उसका भौंकना भी बंद हो गया। 
PunjabKesari
जब वह कुत्ता पुनः गुरु द्रोण के पास पहुंचा तो धनुर्विद्या का यह कौशल देखकर वह दंग रह गए। तब बाण चलाने वाले की खोज करते हुए वे एकलव्य के पास पहुंच गए। एकलव्य को देखकर गुरु द्रोण को यह आभास हुआ कि एकलव्य उनके प्रिय शिष्य अर्जुन से श्रेष्ठ बन सकता है। जिस कारण गुरु द्रोण ने एकलव्य से दक्षिणा में उसका अंगूठा मांग लिया था ताकि वह तीरंदाजी न कर सके और एकलव्य ने भी बिना किसी सवाल-जवाब के अपना अंगूठा काटकर गुरु को दे दिया था।
PunjabKesari
कैसा रहा एकलव्य का जीवन
एकलव्य के पिता श्रृंगवेर राज्य के राजा थे, उनकी मृत्यु के बाद एकलव्य इस राज्य का राजा बना। एकलव्य ने अपने राज्य का विस्तार करने के लिए निषाद भीलों की एक सशक्त सेना बनाई। 

प्रचलित कथाओं के अनुसार एकलव्य श्रीकृष्ण को शत्रु मानने वाले जरासंध के साथ मिल गया था। जरासंध की सेना की तरफ से उसने मथुरा पर आक्रमण भी किया। एकलव्य ने यादव सेना के अधिकतर योद्धाओं को मार दिया था। जब ये सूचना श्रीकृष्‍ण के पास पहुंची तो वे युद्ध करने आ गए। श्रीकृष्ण जानते थे, अगर एकलव्य को नहीं मारा तो महाभारत युद्ध में वह कौरवों की ओर से लड़ेगा। जिससे पांडवों की परेशानियां बढ़ सकती हैं।

जिसके बाद श्रीकृष्ण और एकलव्य के बीच युद्ध हुआ जिस दौरान एकलव्य श्रीकृष्ण के हाथों मारा गया था। एकलव्य के वध के बाद उसका पुत्र केतुमान राजा बना था। बता दें कि महाभारत युद्ध में केतुमान कौरवों की सेना की ओर से पांडवों से लड़ा था और भीम के हाथों से मारा गया था।
PunjabKesari
आधुनिक तीरंदाजी की शुरूआत
कहा जाता है कि एकलव्य अंगूठा बलिदान करने के बाद भी नहीं रूका और बिना अंगूठे के ही धनुर्विद्या में कुशलता प्राप्त कर रहा। आज के युग में आयोजित होने वाली सभी तीरंदाजी प्रतियोगिताओं में अंगूठे का प्रयोग नहीं होता है, इसमें अंगूठे के पास वाली 3 उंगलियों का प्रयोग किया जाता है। इसीलिए एकलव्य को आधुनिक तीरंदाजी का जनक कहा जाता है।

आपको भी सताता है बदनामी का डर तो श्राद्ध का ये उपाय है आपके लिए (देखें Video)


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Jyoti

Recommended News

Related News