Kundli Tv- चाणक्य: शेर की तरह सीखें जीना, कभी निराश नहीं होंगे

punjabkesari.in Sunday, Oct 07, 2018 - 12:18 PM (IST)

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पौराणिक ग्रंथों के वर्णन के अनुसार आचार्य चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि इन्हीं की मदद से उन्होंने चन्द्रगुप्त मौर्य नंदवंश का नाश करने में सफल हुआ था। यह नालंदा विश्वविद्यालय के महान आचार्य थे। इनकी नीतियों का मुख्य विषय व्यक्ति के जीवन के हर पहलू का व्यावहारिक ज्ञान देना है। उनके द्वारा रचित ग्रंथ में जीवन-सिद्धांत, व्यवहार, आदर्श और यथार्थ के सुंदर समन्वय के दर्शन होते हैं। आइए जानते हैं इनकी नीतिशास्त्र के एक श्लोक के बारे में जिसमें उन्होंने बताया है कि कैसे अपने चरित्र की रक्षा करनी चाहिए।
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श्लोक-
क्षुधार्तो न तृणं चरति सिंह:।
सिंह भूखा होने पर भी तिनका नहीं खाता।

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अर्थात-
मनुष्य को कभी अपना स्वभाव नहीं छोड़ना चाहिए। जिस प्रकार सिंह का स्वभाव होता है कि वह अपना पेट शिकार करके ही भरता है उसी प्रकार मनुष्य को अपने स्वभाव के अनुसार ही काम करके अपना जीवन-यापन करना चाहिए। सज्जन सदैव अपने चरित्र की रक्षा करते हैं और सत्य के मार्ग से कभी भी विचलित नहीं होते।
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Jyoti

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