Kundli Tv- कुंडली के इस भाव में बैठा है शनि तो औलाद को हो सकती है ये परेशानी

punjabkesari.in Friday, Oct 05, 2018 - 01:40 PM (IST)

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शनि देव को बहुत क्रूर देव माना जाता है। पौराणिक ग्रंथों में जिस तरह इनका परिचय दिया गया है, वो जानकर हर कोई उनसे डरता है। लेकिन न्याय के देवता शनि देव हर किसी को उसके कर्मो के हिसाब से फल देते हैं। कहते हैं जिस किसी की कुंडली में शनि देव की स्थिति कमज़ोर होती है, उसे अपने जीवन में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं, ये भी कहा जाता है कि जिस जातक की कुंडली में अगर शनि प्रथम भाव में होता है तो उस इंसान के साथ-साथ उसकी औलाद को भी इसका हरज़ाना भुगताना पड़ता है। आइए जानतें हैं इससे संबंधित कुछ- 
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ज्योतिष के अनुसार अगर किसी की कुंडली के शनि प्रथम भाव में है तो इसे सोने का पाया कहा जाता है। इस अवधि के दौरान शनि व्यक्ति के स्वास्थ्य सुख में वृद्धि करता है। कहा जाता है कि ऐसे लोगों को संतान से कष्ट हो सकता है। लेकिन एेसे लोगों के रुके हुए सभी काम पूरे होते हैं। अगर इस दौरान आप कोई व्यापार करते हैं तो आपको काफी लाभ मिलता है। वहीं शिक्षा के क्षेत्र में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। 
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जब शनि जातक की कुंडली में द्वितीय भाव में होते हैं तो इसे चांदी का पाया कहा जाता है। इस दौरान आप कुछ नए दोस्तों से मिलते हैं। व्यक्ति को अपने लगभग सभी कामों में सफलता मिलती है। व्यापार के लिए भी इसे अच्छा समय माना जाता है। ऐसे समय में व्यापार के लिए ठीक माना जाता है। 

जब शनि तीसरे भाव में आता है तो जातक के शत्रुओं को हार का सामना करना पड़ता है। साथ ही इस समय वैवाहिक जीवन भी अच्छा नहीं माना जाता है। इस समय आपकी कमाई में बढ़ोत्तरी हो सकती है लेकिन दुर्घटनाओं में वृद्धि हो सकती है। 
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शनि जब चौथे भाव में आता है तो इसे लोहे का पाया जाता है। इस समय में व्यक्ति अपनी आजिविका में बदलाव कर सकता है, जिसके चलते आपको हानि भी हो सकती है और मानसिक तनाव से भी गुज़रना पड़ सकता है। साथ ही पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

जब शनि पांचवें भाव में आता है तो व्यापार के लिए इसे सही अच्छा माना जाता है। इस अवधि को शुभ समय माना जाता है। परंतु दाम्पत्य जीवन के लिए यह सही समय नहीं माना जाता।

शनि के छठे भाव में आ जाने के बाद व्यक्ति के जीवन में शुभ समाचार मिलने की शुरुआत होती है। छठे भाव में आने के बाद व्यक्ति के मान-सम्मान में बढ़ोतरी होती है। मनुष्य के जीवन में धन लाभ का योग बनता है। इसे जमीन खरीदने का भी सही समय कहा जाता है। 

जब व्यक्ति के जीवन में शनि सातवें भाव में आ जाता है तो उसकी जीवन की सुख-सुविधाएं बढ़ती है। जीवनसाथी की सेहत चिंता का विषय हो सकती है।

अष्टम भाव में जब शनि आ जाता है तो इस समय व्यक्ति के जीवन में कष्टों में बढ़ोतरी होती है। परिवार से साथ भी मतभेद हो सकता है। इस समय व्यक्ति के जीवन में कोई भी नई खबर परेशानी बढ़ा सकती है। हो सकता है कि इस समय व्यक्ति को कर्ज लेना पड़े।
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नवम भाव में व्यक्ति को शुभ समाचार मिलते हैं साथ ही कमाई में भी बढ़ोतरी मिल सकती है। 

जब व्यक्ति की कुंडली में दशम भाव पाया जाता है तो व्यक्ति की सफलता में बढ़ोतरी होती है। प्लानिंग करके किया गया काम सफल होता है। इस वक्त आलस्य का भाव गलत होता है। 

शनि के एकादश में आने के बाद बहुत ही शुभ फल मिलते हैं। धन में कोई कमी नहीं रहती। सम्मान में वृद्धि होती है। 

जब शनि द्वादश भाव में प्रवेश करता है तो सगे-संबंधियों के साथ रिश्ते खराब हो सकते हैं।
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Jyoti

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