Kundli Tv- बेऔलाद दंपत्ति कुछ पलों में बन सकते हैं माता-पिता
punjabkesari.in Friday, Oct 05, 2018 - 12:20 PM (IST)
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स्वामी रामतीर्थ जब सान फ्रांसिस्को में थे तब एनी नाम की महिला उनके पास आई और हृदय-विदारक क्रंदन करती हुई बोली, ‘‘प्रभु मैं बहुत दुखी हूं। मेरा बच्चा जानलेवा बीमारी से चल बसा है। कृपया उसको वापस ला दो।’’
स्वामी जी ने कहा कि माता मैं तुम्हारा बच्चा वापस ला दूंगा। साथ ही दुख दूर करने के लिए आनंद का मंत्र भी दूंगा लेकिन तुम्हें उसकी कीमत चुकानी होगी। आवेश में आकर महिला बोली, ‘‘स्वामी जी बच्चे को पाने के लिए जो भी कीमत होगी वह चुकाने के लिए मैं तैयार हूं। मेरे पास धन-दौलत की कमी नहीं है। आप जितना चाहेंगे मैं आपको दूंगी।’’
स्वामी जी ने कहा कि राम के परमानंद साम्राज्य में धन-दौलत की कोई कीमत नहीं है। राम इससे भी बड़ी कीमत चाहता है। महिला ने कहा कि स्वामी जी मैं हर कीमत पर वह आनंद हासिल करना चाहती हूं। तो फिर राम के साम्राज्य में आनंद की कमी कहां है। यह कहते हुए स्वामी जी उस महिला को एक गरीब बस्ती में ले गए और एक अनाथ हब्शी बच्चे का हाथ महिला के हाथ में देते हुए बोले, ‘‘यह रहा तुम्हारा बच्चा। माते इसको गोद ले लो। यह स्वयं राम का आत्मस्वरूप है। इसको पुत्रवत प्यार करना। तुम इसको जितना प्यार करोगी, तुम्हारे प्यार का सागर उतना ही बढ़ता चला जाएगा।’’
स्वामी जी के शब्दों में विश्व के समस्त उपेक्षितों, मातृहीनों और भूखों को अपने-अपने में समेट लेने वाला स्नेह बरस रहा था। पराए दुख-दर्द को अपनाकर उसमें अपना सुख पाने का आनंद एनी के हाथ लग गया था।
आनंद के इन क्षणों में एनी के गोरेपन का अभिमान गल गया। उच्चता के अभिमान की दीवार ढह गई। उस धूल-धूसरित बच्चे को एनी ने उठाकर अपनी छाती से लगा लिया। उसके दुख के बादल दूर हो गए और सुख के सूरज ने उसके जीवन में उजाला कर दिया था।
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