Kundli Tv- यहां आज भी बसते हैं श्रीकृष्ण

punjabkesari.in Thursday, Oct 04, 2018 - 05:59 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें Video)
भारत में स्थापित हर मंदिर के पीछे कोई न कोई प्रचलित मान्यता ज़रूर होती है। आज हम आपको श्रीकृष्ण के एेसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी साथ जुड़ी प्राचीन कथा पर भरोसा करना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन कहते हैं न किसी के यकीन करने न करने से सच्चाई समय की धूल ले ढक ज़रूर सकती है, परंतु मिट नहीं सकती। 

PunjabKesari
दक्षिण भारत में श्रीकृष्ण के कई प्राचीन व ऐतिहासिक मंदिर स्थापित है, जिनमें से एक है उडुपी का श्रीकृष्ण मंदिर। इस प्राचीन मंदिर को उडुपी मठ के नाम से भी जाना जाता है। उडुपी कर्नाटक का एक गांव है, जो परशुराम जी द्वारा निर्मित 8 गांवो में से एक माना जाता है। उडुपी में स्थित ये श्रीकृष्ण कोई आम मंदिर नही है, बल्कि यहां श्रीकृष्ण स्वयं वास करते हैं। मान्यता के अनुसार भगवान स्वयं यहां प्रकट हुए थे और मंदिर के पीछे एक छेद बनवाया ताकि उनका परम भक्त शूद्र के लिए बनवाया था ताकि वो उनके अच्छे से दर्शन कर सके। 

PunjabKesari
आइए विस्तार से जानते हैं इस मंदिर के बार में- 
कुछ किवदंतियों के अनुसार 13 शताब्दी के मध्य में जब सोमनाथ और द्वारका पर मुगल शासकों ने हमला किया था तो एक भक्त और नाविक ने मिलकर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को समुद्री मार्ग से लेकर जा रहे थे तो रास्ते में कर्नाटक में उनतका नाव को तेज़-तूफान ने घेर लिया। जब वो उड़ुपी स्थान के पास पहुंचे तो वहां ध्यान कर रहे जगत गुरू माधवा आचार्य ने अपने योग बल के द्वारा नांव को तूफ़ान से बचा लिया और श्रीकृष्ण की प्रतिमा को यहां उड़ुपी में स्थापित कर दिया। आपको बता दें कि ये वहीं गुरू जगत आचार्य हैं, जो भक्ति संचार के काल में एक बहुत बड़े दार्शनिक और तत्व ज्ञानी थे। ये वैष्णव धर्म के जाने-मानें गुरू थे, जिनके बारे में कहा जाता है कि इन्हें स्वयं नारायण ने दर्शन दिए थे। 
PunjabKesari

इस मंदिर को बारे में एक प्रचलित कथा है, जो इस मंदिर को एक दिव्य धाम बनाती है। कहते हैं कि श्रीकृष्ण के एक बहुत बड़े भक्त कनकदास को मंदिर में प्रवेश करने से मना कर दिया था, क्योंकि वो शूद्र जाती से था। इस बात से परेशान न होकर उन्होंने मंदिर के पीछे की दीवार से लगकर श्रीकृष्ण की भक्ति में डूब गए। कहा जाता है कि उसकी भक्ति में इतनी शुद्धता थी कि श्रीकृष्ण उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें स्वयं धरती पर दर्शन देने आ गए थे और बाद में उन्होंने मंदिर के पीछे वाली दीवार में एक छेद कर बान दिया, ताकि वे उनके दर्शन कर सके।
PunjabKesari

कहा जाता है कि यहां कनकदास के नामे से यहां एक गोपरम भी है और जिस खिड़की से भगवान कृष्ण के दर्शन करने होते हैं उनमें कुल 9 छेद हैं। कहा जाता है कि प्रत्येक छेद एक-एक ग्रह को समर्पित है। यही कारण है कि इसे नवग्रह खिड़की और कनक नकंदी भी कहा जाता है। इस खिड़की के माध्यम से हज़ारों भक्त श्रीकृष्ण की दिव्य प्रतिमा के दर्शन करते हैं। इस कृष्ण मंदिर के सामने महादेव को दो मंदिर अनंतवेश्वर मंदिर औऱ चंद्रमोलीश्वर स्थापित हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि श्रीकृष्ण के दर्शन करने से पहले इस मंदिर के दर्शन करने ज़रूरी होते हैं।
Kundli Tv- सावधान ! कहीं आप तो नहीं कर रहे NON STICK तवे का इस्तेमाल (देखें Video)


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Jyoti

Recommended News

Related News