Kundli Tv- जानें, बिठूर घाट पर किसे मिली थी दैवीय शक्तियां?

punjabkesari.in Wednesday, Oct 03, 2018 - 02:17 PM (IST)

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श्राद्धों के दिनों में भारत के ज्यादातर घाटों पर भीड़ देखने को मिलती है क्योंकि हिंदू धर्म के अनुसार पिंडदान गंगा किनारे ही किया जाता है। इस पंरपरा के चलते भारत में बहुत से घाट प्रसिद्ध है। आज हम आपको उत्तर प्रदेश, कानपुर के बिठूर घाट के बारे में बताने जा रहे हैं। यह स्थान उत्तर प्रदेश के औद्योगिक शहर कानपुर से 22 किलोमीटर दूर कन्नौज रोड़ पर स्थित है। कहा जाता है कि गंगा किनारे पर बसा बिठूर एक एेसा सोया हुआ कस्बा है जो किसी समय सत्ता का केंद्र हुआ करता था।
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हिंदू शास्त्रों की पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना के पहले इसी स्थान पर तपस्या की थी। जिसकी याद में यहां का ब्रह्मावर्त घाट करवाता है। इसके अलावा धर्म ग्रंथों में ये भी वर्णन मिलता है कि यहीं पर ध्रुव ने भगवान विष्णु की तपस्या की थी। महर्षि वाल्मीकि की तपोभूमि बिठूर को प्राचीन काल में ब्रह्मावर्त नाम से जाना जाता था।
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कुछ पौराणिक कथाओं और किवदंतियों के मानें तो इसी स्थान पर भगवान राम ने माता सीता का त्याग किया था और यहीं बाल्मीकि ने तपस्या करने के बाद पौराणिक ग्रंथ रामायण की रचना की थी। कहा जाता है कि बिठूर में ही बालक ध्रुव ने सबसे पहले ध्यान लगाया था। 1857 के संग्राम के केन्द्र के रूप में भी बिठूर को जाना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा नदी के किनारे लगने वाला कार्तिक अथवा कतिकी मेला पूरे भारत वर्ष के लोगों का ध्यान खींचता है।
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कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश के बहुत से लोग अपने पितरों को मोक्ष की प्राप्ति करवाने के लिए यहां पिंडदान के रिवाज़ को निभाते हैं। इसलिए इस स्थान की प्रसिद्ध ये भी एक कारण माना जाता है। 
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Jyoti

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