Kundli Tv- जानें, पितृ कैसे होते हैं नाराज़

punjabkesari.in Monday, Oct 01, 2018 - 11:26 AM (IST)

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अगर कोई व्यक्ति अपने पिता की हत्या करता है तो उसको पितृदोष लगता है, चाहे इस जन्म में लगे या अगले जन्म में, परन्तु पितृ-दोष जरूर लगता है और उसको पितृ-दोष से होने वाले कष्टों को भोगना पड़ता है इसलिए आश्विन कृष्ण अमावस्या को श्राद्ध अवश्य करना चाहिए और पितरों से क्षमा-याचना करनी चाहिए। 

जन्मकुंडली में नवम भाव पिता स्थान के साथ-साथ धर्म स्थान का कार्य भी करता है। अगर नवम भाव, भावेश, नवम स्थान की राशि, राशि का स्वामी, कर्क राशि और चन्द्रमा पाप प्रभाव में हो और राहू या केतु से पीड़ित हो तो पितृ-दोष बनता है। जन्म कुंडली में नवम भाव और नवम भाव के स्वामी पर राहू या केतु की दृष्टि हो तो भी पितृ-दोष लगता है। 
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पितरों को कुछ छोटे-छोटे उपायों के द्वारा भी प्रसन्न किया जा सकता है क्योंकि वे हमारे ही पूर्वज होते हैं और हम उनके ही वंशज होते हैं, इसलिए कोई भी पितृ अपने परिवार के सदस्यों से ज्यादा नाराज नहीं रहता जैसे घर में कोई भी समारोह, विवाह, जन्म, शुभ कार्य आदि हो तो अपने पितरों को जरूर याद करें, उनका धन्यवाद करें, घर में दक्षिण दिशा वाली दीवार पर अपने पूर्वजों के चित्र लगाएं और वहां पर प्रतिदिन धूप-दीप दिखाएं तो आपके पितर आपसे कभी नाराज हो ही नहीं सकते। ज्योतिषीय दृष्टि में सूर्य और मंगल पितर के कारक हैं इसलिए जब भी सूर्य और मंगल कुंडली में पाप प्रभाव में होंगे तो पितृ-दोष होता है।
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मीठे से बनी हुई चीजें पितरों को बहुत प्रिय होती हैं इसलिए मीठी चीजें ब्राह्मणों को अवश्य खिलानी चाहिए। यह जरूरी नहीं है कि आप किसी मन्दिर के पुजारी को ही दान-दक्षिणा आदि दें, आप किसी ब्राह्मण को भी उपरोक्त दान आदि दे सकते हैं।

कौओं को पानी और बाजरा खिलाने से भी पितृ दोषों से शान्ति मिलती है। 
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किसी भी अमावस्या को हलवा और खीर ब्राह्मणों को खिलाने या मंदिर में देने से पितर-दोष का निवारण होता है।
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Niyati Bhandari

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