Kundli Tv- एेसे पेड़ों की लकड़ी से नहीं बनानी चाहिए देवताओं की मूर्ति
punjabkesari.in Saturday, Sep 29, 2018 - 03:56 PM (IST)
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भविष्य पुराण को हिंदू धर्म के 18 प्रमुख ग्रंथों में एक माना जाता है। इसमें धर्म, सदाचार, नीति, उपदेश, अनेकों आख्यान, व्रत, तीर्थ, दान, ज्योतिष और आयुर्वेद के विषयों का अद्भुत संग्रह है। आज हम जानेंगे इसके अनुसार देवी-देवताओं की प्रतिमा का निर्माण किन 7 प्रकार की चीजों से किया जा सकता है। इस पुराण के अनुसार किसी भी देवी-देवता की प्रतिमा को बनाने के लिए, सोना, चांदी, तांबा, पत्थर, मिट्टी, लकड़ी व चित्रलिखित यानि पेंटिंग का प्रयोग किया जा सकता है। इनमें से अगर लकड़ी से देवताओं की प्रतिमा बनानी हो तो कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कहा जाता है कि कुछ खास प्रकार के पेड़ या किसी विशेष स्थान पर लगे पेड़ों से देवताओं की मूर्ति नहीं बनानी चाहिए इससे अशुभ फल प्राप्त होते हैं।
दूध वाले वृक्ष- जिन पेड़ों से दूध निकलता हो, देवताओं की मूर्ति बनाने एेसी लकड़ी का उपयोग नहीं करना चाहिए।
मजोर वृक्ष- जिन पेड़ों को दीमक आदि जंतुओं ने खोखला कर दिया हो, उससे भी देवताओं की मूर्ति न बनवाएं।
वल्मीक वाले वृक्ष- जिन पेड़ों के नीचे बांबी (सांप व चींटियों के रहने का स्थान) हो। उससे भी देवताओं की मूर्ति नहीं बनवानी चाहिए।
शमशान के वृक्ष- यदि कोई पेड़ शमशान में उगा हो तो उससे भी देवी-देवताओं की मूर्ति नहीं बनवानी चाहिए। ये अशुभ होता है।
पुत्रक वृक्ष- बिना संतान वाले किसी व्यक्ति ने यदि कोई पेड़ अपने पुत्र के रूप में लगाया हो, उससे भी देवताओं की मूर्ति नहीं बनवानी चाहिए।
सूखा वृक्ष- ऐसे पेड़ जिनके आगे का भाग सुख गया हो या जिनकी एक-दो ही शाखा हो, उससे भी देवताओं की मूर्ति नहीं बनवानी चाहिए।
इसके अलावा जिस पेड़ पर पक्षी रहते हों तथा हवा, पानी, बिजली या जानवरों से दूषित पेड़ों का उपयोग भी देव प्रतिमा बनवाने में न करें।
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