जस्टिस रंजन गोगोई की नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

punjabkesari.in Wednesday, Sep 26, 2018 - 05:30 AM (IST)

नई दिल्लीः जस्टिस रंजन गोगोई को देश का नया प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किए जाने को चुनौती देने वाली एक याचिका पर उच्चतम न्यायालय बुधवार को सुनवाई करेगा। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने याचिकाकर्ता आर पी लूथरा से कहा कि वह इस मामले में कोर्ट मास्टर के समक्ष मेमो दाखिल करें। लूथरा ने इस याचिका का पीठ के समक्ष उल्लेख किया था। उन्होंने कहा कि न्यायालय को इस पर तत्काल सुनवाई की तारीख निर्धारित करनी चाहिए। पीठ ने कहा, ‘‘आप इंतजार कीजिये और देखिये। आप उल्लेख करने संबंधी मेमो दीजिये। हम इसे देखेंगे।’’

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लूथरा ने अधिवक्ता सत्यवीर शर्मा के साथ दायर याचिका में कहा है कि वे 12 जनवरी को शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों की प्रेस कांफ्रेस के विवरण को आधार बना रहे हैं और एक कानूनी सवाल पर फैसला चाहते हैं। यह प्रेस कांफ्रेंस जून में रिटायर हुए जस्टिस जे. चेलमेश्वर सेवानिवृत्त, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने की थी। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता प्रधान न्यायाधीश को लिखे गये बिना तारीख वाले पत्र और उसे शीर्ष अदालत के चार न्यायाधीशों द्वारा वितरित किये जाने को अपना आधार बना रहे हैं।

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याचिका के अनुसार चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों का यह कृत्य देश की न्याय प्रणाली को नुकसान पहुंचाने से कहीं भी कम नहीं था। याचिका में कहा गया है कि उन्होंने देश में इस न्यायालय के चुनिन्दा आंतरिक मतभेदों के नाम पर जनता में आक्रोश पैदा करने का प्रयास किया। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता प्रतिवादी भारत सरकार और प्रधान न्यायाधीश की उस कार्रवाई से आहत है, जिसकी परिणति न्यायमूर्ति रंजन गोगोई को उनके गैरकानूनी और संस्था विरोधी कृत्य के लिये प्रताडि़त करने की बजाय देश के प्रधान न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति के रूप में हुई है।

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याचिका में कहा गया है कि भारत सरकार और प्रधान न्यायाधीश का यह कृत्यु गैरकानूनी और असंवैधानिक है क्योंकि न्यायपालिका का सर्वोच्च पद ऐसे व्यक्ति को सौंपा जा रहा है जो न्यायिक कदाचार और न्यायिक रूप से अयोग्यता का दोषी है। याचिका में न्यायमूर्ति रंजन गोगोई को तीन अक्तूबर से देश का नया प्रधान न्यायाधीश नियुक्त करने का आदेश निरस्त करने का अनुरोध किया गया है।


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Yaspal

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