मोदी सरकार को राहुल गांधी से ज्यादा ट्रम्प से खतरा !

punjabkesari.in Tuesday, Sep 25, 2018 - 07:51 PM (IST)

नेशनल डेस्क (मनीष शर्मा): इस समय प्रधानमंत्री मोदी का अच्छा नसीब देश के काम नहीं आ रहा। पेट्रोल 90 के पार तो डीजल 80 रुपए लीटर पहुंचने वाला है। रुपया तो आईसीयू में लेटा हुआ है। अगर सरकार ने ज़रूरी कदम न उठाए तो एक डॉलर के मुक़ाबले रुपया 75 के पार भी जा सकता है। तेल के रोज़ बढ़ते दामों के कारण मोदी सरकार के प्रति जनता में नाराज़गी बढ़ रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जनता की बढ़ती परेशानियों के पीछे असल में कौन शख्स जिम्मेदार है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प। जी हां, उन्हीं की 'अमेरिका पहले' की नीति के चलते इस समय विश्व के कई देश आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।
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‘अमेरिका पहले' नीति के चलते ट्रम्प ने उठाए 2 बड़े कदम 

पहला:
डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन समेत कई देशों के खिलाफ ट्रेड वॉर शुरू कर दिया है। चीन और भारत समेत कई देशों के कुछ उत्पादों में आयात शुल्क बढ़ा दिया। इस कदम से भारत और चीन की वस्तुएं अमेरिका में महंगी हो जाएंगी। 

दूसरा: ईरान के पेट्रोलियम सेक्टर पर अमेरिका ने नवंबर से प्रतिबंध लगा दिया। ईरान अपना तेल रुपए में भारत को बेचता है। अमेरिकी प्रतिबंध के चलते भारत को दूसरे देशों से तेल डॉलर में आयात करना पड़ेगा, जिससे देश में महंगाई बढ़ेगी और रुपया और गिर जाएगा।

इन दो प्रमुख कारणों से भारतीय रुपया दिन-प्रति दिन कमज़ोर हो रहा है और तेल के दाम आसमान छू रहे हैं। डॉलर के मुक़ाबले अकेले भारत का नहीं, अन्य एशियाई देशों की मुद्राओं का प्रदर्शन भी बद से बदतर हो रहा है।

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इस साल

भारतीय रुपया: 11.7 प्रतिशत

इंडोनेशियाई रुपिया: 9 प्रतिशत

फिलीपीन पेसो: 7.39 प्रतिशत गिर चुके हैं।

साल की शुरुआत में एक डॉलर 63 रुपए 66 पैसे था, जो अब 73 के करीब पहुंच चुका है। वहीं, अगर अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के दामों पर नज़र डालें तो नौ महीनों में कच्चे तेल के दाम 14.57 डॉलर प्रति बैरल बढ़ा है। जनवरी 2018 में कच्चा तेल 66.87 डॉलर प्रति बैरल था। अब कच्चे तेल का दाम 81.44 डॉलर प्रति बैरल है। मतलब नौ महीने में 1060 रुपए की बढ़ोत्तरी हुई। ट्रम्प की नीतियों के चलते आज हम लोगों की जेब में पैसे बच नहीं रहे हैं। लेकिन जनता से जुड़े इन मुद्दों को दरकिनार कर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपना ध्यान कथित राफेल डील घोटाले पर ही केंद्रित कर रहे हैं, जिनका उन्हें आने वाले लोकसभा चुनाव में शायद ही फायदा मिले। इस समय मोदी सरकार को राहुल गांधी के अपेक्षा डोनाल्ड ट्रम्प से खतरा ज़्यादा लग रहा है।
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vasudha

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