भारी बारिश से धान की फसल को हुआ नुकसान
punjabkesari.in Tuesday, Sep 25, 2018 - 12:17 PM (IST)
नई दिल्लीः पिछले कुछ दिनों के दौरान देश के उत्तरी और मध्य हिस्सों में अचानक बारिश तेज हो गई है। इससे उन खेतों में खड़ी धान की फसल को नुकसान पहुंच सकता है, जिनमें पानी जमा हो गया है क्योंकि मॉनसून सीजन खत्म होने के समय आई इस बारिश के साथ तेज हवाएं भी चली हैं।
हालांकि फसल को वास्तविक नुकसान का पता उचित आकलन के बाद ही चल पाएगा। देश के मध्य हिस्सों में सोयाबीन और दलहन की खड़ी फसलें भी प्रभावित हुई हैं। हालांकि नुकसान बहुत अधिक नहीं हुआ है क्योंकि बारिश के बाद तेज धूप निकली है। इससे मिट्टी में नमी कम हुई है।
भारतीय मौसम विभाग की एग्रोमेट डिविजन के प्रमुख के के सिंह ने बताया, ‘हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के धान उत्पादक क्षेत्रों में कुछ खेतों में पानी जमा होने की शिकायतें आई हैं। ऐसे खेतों में अगर कटाई चल रही है तो उत्पादकता पर असर पड़ सकता है। जिन खेतों में फसल अभी नहीं पकी है, उनमें कोई बड़ा नुकसान नहीं होने के आसार हैं। इसकी वजह यह है कि धान का तना लचीला होता है, जो गिरकर खड़ा हो जाता है।’
खेतों में पानी के भराव से खाद्यान्न फसलें मुख्य रूप से जमीन के पास मुड़ जा रही हैं। इससे उनकी कटाई करना मुश्किल हो जाता है, जिससे उत्पादकता घटती है। फसलें तब आड़ी गिर जाती हैं, जब बारिश के साथ 25 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से अधिक हवाएं चलती हैं। कृषि विकास केंद्र के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, ‘पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत, मेरठ, मुजफ्फरनगर जिलों और हरियाणा में यमुना के आसपास के इलाकों में अचानक बारिश और तेज हवाओं से धान की फसल प्रभावित हुई है। हालांकि नुकसान का सही आकलन नहीं अभी नहीं किया गया है।’
सोयाबीन और दलहनों के बारे में इंदौर स्थित भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (आईआईएसआर) के निदेशक सुनील दत्त बिल्लोरी ने कहा कि अभी तक मध्य प्रदेश में कहीं से भी सोयाबीन की खड़ी फसल को किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं आई है। इसकी वजह यह है कि अच्छी बारिश के बाद आसमान साफ हो गया है। इससे खेतों में नमी खत्म हो जाएगी।
पंजाब में ‘रेड अलर्ट’ जारी किया गया है, जहां मंगलवार को शैक्षणिक संस्थानों को बंद रखने का आदेश जारी किया गया है। जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले और हिमाचल प्रदेश के ज्यादातर स्थानों पर स्कूल बंद हैं। देश में 20 से 22 सितंबर के बीच करीब 25.5 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो सामान्य से 71 फीसदी अधिक है। इसमें से ज्यादातर बारिश उत्तरी और मध्य भारत में हुई है। इस बारिश से सीजन के दौरान बारिश की कमी का स्तर 1 फीसदी घटकर सामान्य से 9 फीसदी कम रह गया है।
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