ट्राईसिटी में बढ़ा सुसाइड करने वालों का ग्राफ, पुरुष आगे

punjabkesari.in Tuesday, Sep 25, 2018 - 11:47 AM (IST)

चंडीगढ़ (पाल): साल 2003 में 130 लोगों ने शहर में सुसाइड किया था। अचानक बढ़े इन मामलों के पीछे लोगों कि क्या मानसिकता है व सुसाइड करने के तरीके के बारे में जानकारी लेने के लिए जी.एम.सी.एच.32 के साइकैट्रिक विभाग को नोडल सैंटर नियुक्त किया गया था। विभाग पिछले 15 सालों से शहर में सुसाइड प्रिवेंशन को लेकर काम कर रहा है। विभाग के ताजा आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले 14 सालों में शहर में सुसाइड के मामले दुगने हो गए हैं। अभी के रिकॉर्ड के मुताबिक इतने सालों में 1050 लोगों ने अपनी जान दी है। 

इसमें से 60 प्रतिशत पुरुष थे। जी.एम.सी.एच. डायरैक्टर व साइकैट्रिक विभाग के हैड प्रो. बी.एस. चवन की माने तो सबसे चिंता की बात तो यह है कि अब सुसाइड करने वाले में कम उम्र के लोग ज्यादा शामिल हो गए हैं। आंकड़ों के मुताबिक 58 प्रतिशत लोग 17 से 30 साल की उम्र के थे, जिन्होंने आत्महत्या की। महिलाओं की बात करे तो उनकी उम्र भी घटी है। 49 प्रतिशत आत्महत्या करने वाली महिलाओं की उम्र 17 से 25 साल की थी।  

ज्यादातर लोग फंदा लगाकर देते हैं जान 
68 प्रतिशत लोगों ने फंदा लगाकर जान दी है। 13 प्रतिशत लोगों ने जहर खाया (महिलाओं ने ज्यादा)। पुरुषों में आत्महत्या का तरीका पहले से हिंसक हो गया है जिसमें उन्होंने किसी ऊंची जगह से कूद कर, गोली मारकर, चाकू का इस्तेमाल कर अपनी जान दी है। पिछले 8 सालों में 21 पुरुषों ने खुद को गोली मारी है। 021 लोगों ने डूबकर अपनी जान दी है, जिसमें 13 पुरुष व 8 महिलाएं शामिल हैं। मैंटल हैल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक जितनी भी सुसाइड जी.एम.सी.एच. में रजिस्टर की गई हैं, उनकी फैमिली हिस्ट्री से पता चलता है कि मरने वाले ने स्ट्रैस, डिप्रैशन, एग्जाम में फेल, लव अफेयर, फैमिली डिस्पयूट के कारण यह कदम उठाया।   

क्या कहते हैं आंकड़े 
आत्महत्या करने वालों की उम्र में गिरावट आई है, कम उम्र की महिलाएं यह कदम ज्यादा उठाती है। यूथ में बढ़ते सुसाइड के केस बताते हैं कि उनमें सहनशक्ति कितनी कम है। हथियार कितनी से आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं, ज्यादातर युवा गन का इस्तेमाल कर जान दे रहे है। पंखे से लटक कर जान देना काफी कॉमन है। तनाव जैसी कई सुसाइड सिम्ट्स देखने के बावजूद फैमिली यकीन नहीं कर पाती कि उनके बच्चे इस तरह का कदम उठा सकते हैं। डूब कर जान देने वाले के लिए सुखना का सुसाइड प्वाइंट  पर पहले स्थान पर हैं।

 यह करने की जरूरत 
-बच्चों में स्ट्रैस या डिप्रैशन पर होने पर पेरैंट्स को उनसे बात करनी चाहिए, या फिर उन्हें काऊंसलिंग के लिए लेकर जाए।अपनी खास चीज दूसरे को देना, खाना न खाना, बात न करना, खोए-खोए रहना, बहुत ज्यादा सिक्रटिव रहना, सुसाइड के सिम्टम्स में से है, जिसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। किसी भी तरह के संदेह होने पर एक्सपर्ट्स की राय जरूर ले।


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bhavita joshi

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