पंजाबी स्वाभिमान संघ ने उठाई पंजाबियों के हितों की आवाज

punjabkesari.in Tuesday, Sep 25, 2018 - 11:26 AM (IST)

चंडीगढ़(बंसल): हरियाणा में भविष्य के चुनावों को लेकर जहां राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर रखी हैं, वहीं जातिगत संगठन भी सक्रिय हो गए हैं। हाल ही में पंजाबी मंच के नेतृत्व में कुछ पूर्व मंत्रियों ने एकत्रित होकर पंजाबी हितों की मांग उठाई तो आज हरियाणा पंजाबी स्वाभिमान संघ ने भी पंजाबियों के हितों की आवाज उठाते हुए राजनीतिक दलों पर पंजाबियों की अनदेखी का आरोप लगाया। संघ ने प्रदेश में अपनी आबादी के आधार पर राजनीतिक हिस्सेदारी की मांग उठाई है।

हरियाणा पंजाबी स्वाभिमान संघ के संरक्षक अनिल कुमार मदान, उपसंरक्षक देवेंद्र धमीजा, मुख्य सलाहकार ईश सरना, प्रदेश अध्यक्ष हेमंत बख्शी, महासचिव चिराग डंग, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्याम मेहता, उपप्रधान उमेश तनेजा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हरियाणा गठन से लेकर अब तक पंजाबी समाज की अनदेखी की गई है। पंजाबियों को उनकी जनसंख्या के आधार पर राजनीतिक हिस्सेदारी कभी नहीं मिली है। 

पंजाबी नेताओं ने कहा कि विभाजन के पश्चात भारत में आए विस्थापित परिवारों को सरकार ने जो जमीन अलॉट की थी, उसमें से पिछली कांग्रेस सरकार ने अधिसूचना जारी करके 80 हजार एकड़ जमीन केंद्र सरकार को वापस कर दी थी। पिछले 4 साल से पंजाबी समाज उस जमीन को दोबारा अपने नाम अलॉट करवाने के लिए प्रयास कर रहा है लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। पंजाबी नेताओं ने कहा कि जो भी राजनीतिक दल हरियाणा में 25 से 30 विधानसभा सीट, 2 लोकसभा व एक राज्यसभा सीट से पंजाबी समुदाय को प्रतिनिधित्व देगा, आगामी चुनाव में पंजाबी स्वाभिमान संघ द्वारा उसी का समर्थन किया जाएगा।

पंजाबी प्रतिनिधियों ने कहा कि 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद होने के बाद आज तक विस्थापित परिवारों को पाकिस्तानी एवं रिफ्यूजी कहकर पुकारा जाता है। जिस तरह से एस.सी.-एस.टी. एक्ट के तहत जातिसूचक शब्द इस्तेमाल करने पर तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान है, वैसे ही विस्थापित पंजाबियों को पाकिस्तानी एवं रिफ्यूजी बुलाने पर तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान होना चाहिए। पंजाबी नेताओं ने विस्थापित परिवारों को सौ-सौ गज के प्लाट अलॉट किए जाने अलावा पंजाबी समाज में आॢथक रूप से पिछड़े हुए परिवारों एवं उनके बच्चों को नौकरियों में आरक्षण दिए जाने की मांग भी की है। 
 


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Rakhi Yadav

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