इनैलो के ‘संकटमोचक’ बने ‘अभय’ को घेरने का हो रहा प्रयास

punjabkesari.in Monday, Sep 24, 2018 - 11:41 AM (IST)

सिरसा(संजय अरोड़ा): हरियाणा में 2013 में जे.बी.टी. भर्ती मामले में इनैलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला व पूर्व सांसद अजय सिंह चौटाला को जेल हो जाने के बाद इनैलो के अस्तित्व को लेकर लग रहे कयासों व परिवार पर छाए संकट के बादलों के बीच इन 5 वर्षों में परिवार को मजबूती व साहस से सहेज कर रखने तथा पार्टी संगठन को निरंतर मजबूत बनाकर संकट से उबारने वाले पार्टी के स्टार प्रचारक व संकटमोचक अभय सिंह चौटाला का यही राजनीतिक कौशल शायद विरोधियों को हजम नहीं हुआ और उन्हें घेरने के लिए एक चक्रव्यूह के तहत न केवल उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार का सहारा लिया जा रहा है, वहीं उनके खिलाफ षड्यंत्र रचने के भी निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।

हालांकि अभय चौटाला के खिलाफ पैदा किए जा रहे इस ‘माहौल’ से न तो चौटाला विचलित हैं और न ही उनके समर्थक। समर्थकों का कहना कि इन सब बातों का जवाब बहुत जल्द तब मिल जाएगा जब विकट परिस्थितियों के बावजूद वे इनैलो-बसपा गठबंधन को सत्ता की दहलीज पर पहुंचाकर स्व. चौ. देवीलाल व पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का झंडा बुलंद करेंगे। करीब 5 वर्षाों  से विभिन्न संकटों व विकट परिस्थितियों के बावजूद पिता व भाई की गैर-मौजूदगी में पार्टी संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाने की कवायद के साथ-साथ विभिन्न मौकों पर छोटी से लेकर बड़ी रैलियों तक में अपनी सियासी ताकत दिखाते हुए हरियाणा विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अभय सिंह चौटाला सूबे की सियासत में एक परिपक्व नेता के रूप में अपनी पहचान कायम कर चुके हैं। 

इसका आभास उनके नेतृत्व में हो रही बड़ी रैलियों और पार्टी वर्करों में दिख रहे जोश से भी होता है। यही नहीं 25 सितम्बर को पूर्व उप-प्रधानमंत्री स्व. चौ. देवीलाल की जयंती पर होने वाली सम्मान रैली भी प्रदेश में राजनीतिक लिहाज से इनैलो-बसपा कार्यकर्ताओं को भविष्य की उनकी सरकार के लिए ‘अच्छे दिन’ का अहसास करवा सकती है। खास बात यह भी है कि यह स्थिति उस वक्त है जब नेता प्रतिपक्ष अभय सिंह चौटाला जे.बी.टी. भर्ती मामले में अपने पिता ओमप्रकाश चौटाला व भाई अजय सिंह के जेल चले जाने पर जहां परिवार को संकट से उबारने में जुटे रहे तो वहीं पार्टी को भी सहेजे रखा। 

इन विपरीत परिस्थितियों में अभय सिंह ने कई चुनौतियों से गुजरते हुए न केवल खुद को बड़ी मजबूती से उबारे रखा, बल्कि प्रदेश में अगले लोकसभा व विधानसभा चुनावों में गठबंधन के पक्ष में माहौल भी बनाया है। समर्थकों का मानना है कि यह भी वह दौर था जब इनैलो जहां सत्ता के लिए पिछले करीब 8 सालों से संघर्ष कर रही थी तो वहीं परिवार और पार्टी दोनों की जिम्मेदारी अभय सिंह चौटाला के कंधों पर आ टिकी। इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हुए अभय सिंह चौटाला ने परिवार के साथ-साथ पार्टी को लडख़ड़ाने से बचाया और हाल ही में बसपा से गठबंधन कर अपने राजनीतिक कौशल को भी प्रदर्शित किया। 

बसपा से गठबंधन होने से न केवल इनैलो कार्यकर्ताओं में एक माहौल बनने लगा, बल्कि इन राजनीतिक रिश्तों से विरोधियों में खलबली भी मच गई। बेशक उन लोगों ने अभय सिंह के कदमों पर कांटे बिछाने की कवायद की, मगर यह उनकी कुशल रणनीति का ही परिणाम रहा कि वे एक के बाद एक रैलियां करके आगे बढ़ते दिखाई दिए।
 


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Rakhi Yadav

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