अमृतसर के कारखानों में जलाया जा रहा पैट कोक घोल रहा वातावरण में जहर

punjabkesari.in Monday, Sep 24, 2018 - 11:03 AM (IST)

अमृतसर(इन्द्रजीत):पंजाब के अमृतसर शहर का  वातावरण इतना प्रदूषित हो चुका है कि वल्र्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन द्वारा पूरे भारत में दिल्ली के बाद पंजाब में सर्वाधिक खतरनाक प्रदूषित क्षेत्र अमृतसर को बताया है। वायु प्रदूषण के मुख्य कारणों में अमृतसर की इंडस्ट्री के साथ-साथ नगर में वाहनों की बड़ी संख्या है। अमृतसर के बड़े कारखानों में पैट कोक नामक कोयला जलाया जाता है जिनकी धधकती चिमनियों में से निकलता काला धुआं शहर की हवा में जहर घोल रहा है। इसी कारण पैट कोक को भारत के बड़े औद्योगिक प्रांत बंद कर चुके हैं। उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में जहां यह कोयला जलाने पर प्रतिबंध लग चुका है, वहीं दिल्ली के साथ-साथ एन.सी.आर. के क्षेत्रों में तो पैट कोक जलाने को सरकार द्वारा एक बड़ा अपराध माना जाने लगा है। बड़ी बात है कि पंजाब जैसे अति प्रदूषण युक्त प्रदेश में इस कोयले को जलाने पर पाबंदी नहीं है। 

पैट कोक जलाने के लिए लगाने पड़ते हैं सक्रबर 
पैट कोक को जलाने के लिए प्रदूषण विभाग की तरफ से बनाए गए मानकों के अनुसार यदि कोई कारखानेदार फैक्टरी में पैट कोक जलाता है तो उस पर उसे चिमनी के उपरी हिस्से के निकट सक्रबर नामक एक सिस्टम (मैकेनीकल यंत्र) लगाना पड़ता है। इस यंत्र को लगाने से पैट कोक के बीच मौजूद सल्फ्यूरिक एसिड अलग गिर जाता है किन्तु देखने में आया है कि एक-आध को छोड़ कर किसी फैक्टरी का सक्रबर सिस्टम ठीक तरीके से नहीं चलता। बड़ी संख्या में कारखानेदारों ने यह यंत्र लगा रखे हैं किन्तु इन्हें चालू नहीं किया जाता। जानकार लोगों का कहना है कि सक्रबर लगा भी दिया जाए तो यह कुछ दिनों में बंद हो जाता है और लाखों का खर्चा कारखानेदार के पल्ले पड़ जाता है। 

क्या है पैट कोक 
साधारण तौर पर कारखानों में प्रयुक्त होने वाला कोयला हार्डकोक होता है। इसका स्रोत भूमि में विद्यमान कोयले की खदाने हैं जिनमें से इसे निकाला जाता है। वहीं पैट कोक नामक कोयला मानव निर्मित है और इसे कू्रड ऑयल (कच्चा तेल) से निकाला जाता है। तकनीकी जानकारी के मुताबिक कू्रड ऑयल से पैट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल, ल्यूब्रीकैंट ऑयल, ग्रीस, इंजन ऑयल, विमानों का तेल, कॉस्मैटिक इत्यादि कई पदार्थ निकलते हैं। इसमें वेस्ट बच जाने वाला मैटीरियल तारकोल (लुक्क) के रूप में सड़कों के निर्माण के लिए प्रयुक्त किया जाता है क्योंकि यह पदार्थ अधिक चिपचिपा होता है और क्रशर को सड़कों पर बिछाने के साथ यह उसे बांध कर रखता है। इसी तारकोल को प्रोसैस करने के उपरांत कुछ देश की बड़ी नामचीन कंपनियां पैट कोक बना देती हैं जिसे इंडस्ट्री में सस्ता होने के कारण इस्तेमाल किया जाता है। 

डब्ल्यू.एच.ओ. की तरफ से जारी 2017-18 के प्रदूषण के आंकड़े
दिल्ली में प्रदूषण इंडैक्स का औसत स्तर 91.36 और अमृतसर में 87.00 है। वहीं वायु प्रदूषण दिल्ली 80.11 और अमृतसर 80.15, पीने का पानी दिल्ली 64.63 और अमृतसर 56.00 के स्तर पर हैं। दूसरी ओर डिस्पोजेबल गार्बेज के मामले में अमृतसर दिल्ली से आगे निकलते हुए 76.19 से 85.00 पर है। वहीं डर्टी एंड अनटाइडी प्रदूषण का स्तर दिल्ली के 72.66 से बढ़कर अमृतसर में 77.88 है। 143 वर्ग

किलोमीटर में चल रहे 12.80 लाख वाहन
प्रदूषण के अन्य कारणों में अमृतसर के 143 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में डी.टी.ओ. विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार वाहनों की संख्या 12 लाख 80 हजार है  जिनमें 60 हजार के करीब ऑटो रिक्शा शामिल हैं। हालांकि इसमें 2 प्रतिशत वाहन रद्द होने की भी गुजाइंश है। इन आंकड़ों के अनुसार प्रति वर्ग किलोमीटर 8741 वाहन चल रहे हैं जबकि एक वर्ग किलोमीटर में 15 प्रति औसत जगह सड़कों को दी गई है। इस अनुसार 1 लाख 50 हजार वर्ग मीटर में 8741 वाहनों का चलना प्रदूषण के स्तर को बढ़ाने का एक बड़ा कारण बन चुका है। 

सता रहा पिछले अक्तूबर-नवम्बर का डर 
प्रदूषण के बढऩे का डर लोगों को अभी से सताने लगा है। वर्ष 2017 में अक्तूबर महीने के अंत में प्रदूषण ने अपना रौद्र रूप दिखा दिया था। इन दिनों में वायु प्रदूषण समॉग का रूप ले गया था। जहां अमृतसर और दिल्ली में कई उड़ानें रद्द करनी पड़ी थीं, वहीं दिल्ली सहित कई हवाई अड्डों पर हैलीकॉप्टर से वर्षा करके समॉग की परत को तोड़ा गया था। जबकि ऐसी स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन को पहले से प्रबंध करने की जरूरत है। 

प्रदूषण के खिलाफ इस तरह जुड़ें मुहिम से

पंजाब केसरी द्वारा प्रदूषण के खिलाफ शुरू की गई मुहिम से सैंकड़ों लोग जुड़ रहे हैं। इस मुहिम से जुडऩे व सुझाव देने के लिए support@punjabkesari,net.in पर सम्पर्क करें। 


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