जानिए क्यों विलुप्त हो रही है खजुराहो के मंदिरों की पहचान

9/24/2018 10:55:32 AM

भोपाल : चंदेल राजाओं द्वारा 11वीं सदी में बनाए गए खजुराहो के मंदिर बुंदेलखंड ही नहीं पूरे मप्र पर्यटन का सिरमौर है, लेकिन मेंटेनेंस के नाम पर यह पहचान धुंधली और खंडित होती जा रही है। मंदिरों के रख-रखाव के नाम पर कितनी गंभीर लीपापोती हो रही है इसकी गवाही खुद खजुराहो के मंदिर, उसकी दीवारें, गुंबद व कलश दे रहे हैं। 50 साल पहले खजुराहों के सभी मंदिर जिस रूप में थे उनमें से अधिकांश अब वैसे नहीं रहे।
खजुराहों में मंदिरों की तीन श्रेणी वेस्टर्न, ईस्टर्न और सदन हैं, जिनमें कुल 25 मंदिर हैं। हर मंदिर पर पाषाण कलां में इंसान के जन्म से लेकर मरण तक की कलाकृतियां हैं।
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परिसर की दीवारों, मंदिर के अंदर-बाहर और गुंबद तक में महीन नक्कासी है। पत्थर पर उकेरी गईं यही कलाकृतियों खजुराहों की पहचान हैं, जिसे देखने सात समंदर पार से विदेशी भी आते हैं, लेकिन, मंदिरों की यही कलाकृति गायब हो रही हैं। खजुराहों में मंदिरों की तीन श्रेणी वेस्टर्न, ईस्टर्न और सदन हैं, जिनमें कुल 25 मंदिर हैं। हर मंदिर पर पाषाण कला में इंसान के जन्म से लेकर मरण तक की कलाकृतियां हैं। परिसर की दीवारों, मंदिर के अंदर-बाहर और गुंबद तक में महीन नक्कासी है। पत्थर पर उकेरी गईं यही कलाकृतियों खजुराहों की पहचान हैं, जिसे देखने सात समंदर पार से विदेशी भी आते हैं, लेकिन, मंदिरों की यही कलाकृति गायब हो रही हैं।


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suman

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