1965 भारत-पाक युद्ध के शहीदों की वीर नारियों को किया सम्मानित

punjabkesari.in Sunday, Sep 23, 2018 - 08:41 PM (IST)

बिलासपुर: वर्ष 1965 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह से हराया था। इस युद्ध विजय के 53 वर्ष पूर्ण होने पर हिमाचल प्रदेश पूर्व सैनिक कल्याण समिति के बैनर तले पूर्व सैनिकों व 53 आम्र्ड रैजीमैंट ने रविवार को बिलासपुर में राज्य स्तरीय विजय दिवस मनाया व 1965 के इस युद्ध में शहीद हुए हिमाचल प्रदेश के वीर जवानों की वीर नारियों को सम्मानित किया। इस समारोह में भाग लेने पंजाब से 53 आम्र्ड रैजीमैंट की टुकड़ी विशेष रूप से बिलासपुर पहुंची थी। समारोह में आम्र्ड रैजीमैंट के कमान अधिकारी कर्नल अभिषेक सक्सेना ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की जबकि समारोह की अध्यक्षता पूर्व सैनिक कल्याण समिति के अध्यक्ष सूबेदार प्रकाश चंद ने की। परिधि गृह बिलासपुर के प्रांगण में बारिश की रिमझिम फुहारों के बीच सैन्य अधिकारियों व पूर्व सैनिकों ने शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी व दो मिनट का मौन रख कर उन्हें नमन किया। सेना के जवानों की टुकड़ी ने उलटे शस्त्र कर 1965 के वीर शहीदों को नमन किया।
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57 दिन चला था भारत-पाक युद्ध
गौरतलब है कि वर्ष 1965 में हुआ भारत-पाकिस्तान युद्ध  57 दिन चला था। 5 अगस्त को युद्ध की शुरूआत हुई थी व 23 सितम्बर को रात्रि 12 बजे युद्ध विराम की घोषणा हुई थी। 5 अगस्त, 1965 को पाकिस्तानी सेना के 33 हजार सैनिक लाइन ऑफ कंट्रोल पार कर भारतीय सीमा में घुस आए थेे लेकिन भारतीय सेना के वीर जवानों ने अपने बुलंद हौसलों के साथ पाकिस्तानी सेना के हजारों सैनिकों को मार गिराया था, उन्हें फिर से लाइन ऑफ कंट्रोल से पीछे धकेल दिया था। यह युद्ध अत्यंत कठिन परिस्थितियों में लड़ा गया था।
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बिलासपुर के 31 वीर सपूतों ने पिया था शहादत का जाम
इस युद्ध में भारत के 3 हजार सैनिकों ने शहादत का जाम पिया था जिनमें बिलासपुर जिला के 31 वीर सपूतों सहित पूरे प्रदेश के 165 रणबांकुरों ने अपने प्राणों की आहुति देकर सीमाओं की रक्षा की थी। इस युद्ध में पराक्रम दिखाने वाले हिमाचल के वीर जवानों को 11 वीर चक्र, एक महावीर चक्र व 7 सेना मैडलों से सम्मानित किया गया था। जिनमें बिलासपुर के सिपाही सुखराम को भी मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

सैनिक अब्दुल हमीद को मरणोपरांत मिला परमवीर चक्र
युद्ध के दौरान 9 सितम्बर को पंजाब के खेमकरण क्षेत्र के चीमा गांव व असल उत्तर में पाकिस्तान के 100 टैंक घुस आए थे। तब भारतीय सेना की 4-ग्रेनेडियर के सी.क्यू.एम.एच. अब्दुल हमीद ने मात्र आर.सी.एल. गन के साथ मोर्चा संभाला व दुश्मन के 3 पैटन टैंक बर्बाद कर दिए व 97 टैंकों को वहीं पर रोक दिया। इसी दौरान दुश्मन की एक गोली वीर अब्दुल हमीद का सीने पर लगी तथा वे शहीद हो गए। उनकी इस अदम्य वीरता के चलते उन्हें भारत सरकार द्वारा मरणोपरांत सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। उनका नाम इस अदम्य वीरता के लिए गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में भी दर्ज है। वहीं वर्ष 1965 के इस युद्ध में सिपाही सूरत राम को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

इन्होंने पिया था शहादत का जाम
वर्ष 1965 के इस युद्ध में जिला के नायक क्लर्क शिव शंकर, राइफलमैन छोटा राम, राइफल मैन श्याम लाल, ग्रेनेडियर रोशन लाल, सिपाही तुलसी राम, भगत राम, सिपाही चूंकू, सिपाही सुख राम, सिपाही शिव राम, सिपाही प्रेम सिंह, सिपाही मनसा राम, सिपाही निक्का राम, सिपाही तुलसी राम, नायक लाल सिंह, सिपाही जीत सिंह, सिपाही मनसा राम, सिपाही भगवान दास, सिपाही हजुरा सिंह, सिपाही भागीरथ, हवलदार सोहन सिंह, सिपाही भगत राम, सिपाही अमरनाथ, ग्रेनेडियर इंद्र सिंह, सिपाही रोशन लाल, सिपाही ईश्वर सिंह, सिपाही सुख राम, सिपाही परस राम, ग्रेनेडियर जीत सिंह व राइफलमैन रब्बो राम मातृभूमि की रक्षा के लिए शहीद हो गए थे।

इन वीर नारियों को मिला सम्मान
सुन्हाणी-बिलासपुर निवासी शहीद सिपाही मनसा राम की विधवा कर्मी देवी, कोठीपुरा के शहीद हवलदार नंत राम की विधवा मीरा शर्मा, बल्हीझलेड़ा-बिलासपुर के शहीद हवलदार मुंशी राम की विधवा सरबनो देवी, सोलन जिला के शहीद हवलदार बोहरा राम की विधवा सरस्वती देवी व मंडी जिला के शहीद कृष्ण चंद की विधवा चिंता देवी को कमान अधिकारी कर्नल अभिषेक सक्सेना ने शाल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।


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Vijay

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