Kundli Tv- भटकती आत्माओं को यहां मिलता है सहारा

punjabkesari.in Sunday, Sep 23, 2018 - 11:42 AM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें Video)
हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मृत्यु के बाद हर किसी का पिंडदान किया जाता है। मान्यता है कि पितृ तर्पण का बहुत महत्व है। इसके अनुसार अपने पूर्वजों का पिंड तर्पण करने से उन्हें मुक्ति मिलती है और वे प्रेत योनी से हमेशा के लिए मुक्त हो जाते हैं।  वास्तव में मरने के बाद पिंडदान करने से अतृप्त आत्माओं को मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन बहुत से लोग हैं जिन्हें यह नहीं पता होगा कि पिंड तर्पण करने के लिए सही जगह कौन सी है। तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि मृत्यु के बाद आखिर भकटती आत्माओं को कहां सहारा मिलता है। 

पुराणों के अनुसार, मृत्यु के बाद भी इंसान की आत्माएं किसी न किसी रूप में श्राद्ध पक्ष में अपने परिजनों को आशीर्वाद देने के लिए धरती पर आते हैं । पितरों के परिजन उनका तर्पण कर उन्हें मुक्ति दिलवाते हैं। श्राद्ध का अर्थ है, अपने पितरों के प्रति श्रद्धा प्रगट करना। इन तीर्थस्थलों पर श्राद्ध करने से मिलती है मुक्ति। 

इन तीर्थस्थलों में करें श्राद्ध-
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गया को विष्णु का नगर माना जाता है, जिस कारण इसे मोक्ष की भूमि कहा जाता है। विष्णु पुराण के मुताबिक गया में पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिलता है और स्वर्ग में वास करते हैं। इसके बारे में यह भी कहा जाता है  कि स्वयं भगवान श्री विष्णु यहां पितृ देवता के रूप में विराजते हैं, इसलिए इसे 'पितृ तीर्थ' भी कहा जाता है ।
PunjabKesari
शांतिकुंज को वेदमाता गायत्री का निवास स्थान कहा जाता है। इसलिए कहा जाता है तकि यहां साक्षात गायत्री माता और यज्ञ भगवान निवास करते हैं । शांतिकुंज में बारहों माह श्राद्ध कर्म सम्पन्न किए जाते हैं। 
PunjabKesari
चार प्रमुख धामों में से बद्रीनाथ के ब्रहमाकपाल क्षेत्र में अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया जाता है। मान्या है कि पांडवों ने भी अपने पितरों का पिंडदान इसी जगह किया था।

तीर्थराज प्रयाग में तीन प्रमुख नदियां गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है । पितृपक्ष में बड़ी संख्या में लोग यहां पर अपने पूर्वजों को श्राद्ध देने आते है।

ऐसी मान्यता हैं कि काशी में मरने पर मोक्ष मिलता है । यह जगह भगवान शिव की नगरी है । काशी में पिशाचमोचन कुंड पर श्राद्ध का विशेष महत्व होता है। यहां अकाल मृत्यु होने पर पिंडदान करने पर जीव आत्मा को मोक्ष मिलता हैं।
PunjabKesari
उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे स्थित सिद्धनाथ में लोग पितरों को श्राद्ध अर्पित करते हैं। कहा जाता है कि यहां माता पार्वती ने वटवृक्ष को अपने हाथों से लगाया था।

गुजरात के द्वारिका से 30 किलोमीटर की दूरी पर पिण्डारक में श्राद्ध कर्म करने के बाद नदी मे पिण्ड डालते हैं।लोग यहां अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं।
ज्यादा पैसा पाने के लिए अपनाएं ये टोटका (देखें Video)


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Jyoti

Recommended News

Related News