उच्च शिक्षा सामग्री भारतीय भाषाओं में हो उपलब्ध: कोविंद

punjabkesari.in Saturday, Sep 22, 2018 - 06:21 PM (IST)

नई दिल्ली: दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा’के शताब्दी समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने  हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के प्रचार- प्रसार पर जोर देते कहा कि सभी भाषाओं में बुनियादी और उच्च शिक्षा से संबंधित सामग्री उपलब्ध करवाए जाने की जरुरत है । मौजूदा समय में इंटरनेट पर हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं में नयी सामग्री का सृजन बहुत तेज गति से हो रहा है और बुनियादी एवं उच्च-शिक्षा के लिए उच्च-स्तर की सामग्री सभी भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराने के प्रयास किये जाने चाहिए। उन्होंने कहा, ऐसी सामग्री उपलब्ध होने से, भारतीय भाषाओं के माध्यम से मौलिक ज्ञान-विज्ञान, काम-काज और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। हिन्दी सहित सभी भारतीय भाषाओं में ऐसी क्षमता विकसित करनी चाहिए कि उनमें जैव प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे विषयों पर मौलिक काम किया जा सके।

लोगों को जोड़ती है भाषाएं
राष्ट्रपति ने देश की भावनात्मक एकता को मजबूत बनाने में‘दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा’जैसे संस्थानों की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि भाषाएं लोगों को जोड़ती हैं। उन्होंने कहा, भारतीय भाषाओं ने‘वसुधैव कुटुम्बकम् '  की भावना को संजोकर रखा है। भारत में अनेक भाषाएं और बोलियाँ हैं। उन सभी का अपना-अपना स्वरूप और सौन्दर्य है। यह विविधता, हमारी संस्कृति को उदार और समृद्ध बनाती है।
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उन्होंने सभी देशवासियों से अपने राज्य की मुख्य भाषा के अलावा अन्य राज्यों की भाषाओं को भी सीखने की अपील करते हुए कहा कि जब कोई हिन्दीभाषी युवा, तमिल, तेलुगु, मलयालम या कन्नड़ भाषा सीखता है तो वह एक बहुत ही समृद्ध परंपरा से जुड़ जाता है। वह उस प्रदेश में अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सकता है। यह जानकारी उसके व्यक्तित्व में एक नया पक्ष जोडऩे के साथ-साथ, उसके लिए विकास के नये अवसर भी पैदा कर सकती है। 

मानसिक क्षमता में होती है वृद्धि
ऐसे अनेक वैज्ञानिक शोध सामने आ रहे हैं, जिनके अनुसार, एक से अधिक भाषा सीखने वाले व्यक्ति की मानसिक क्षमता में वृद्धि होती है। अधिक भाषाएं सीखने से सोच का दायरा भी बढ़ता है, दृष्टिकोण और अधिक व्यापक होता है। भारत जैसे बहुभाषी देश में यह तथ्य और अधिक प्रासंगिक हो जाता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह‘दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा’ने हिन्दी का प्रचार-प्रसार किया है उसी तरह सभी भारतीय भाषाओं के विकास और प्रसार के लिए प्रयास किये जाने चाहिए।‘दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा’की तर्ज पर, अन्य भारतीय भाषाओं के लिए भी, ऐसी सभाओं की शुरुआत होनी चाहिए।
 


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