प्रवासी भारतीयों के लिए FPI की मंजूरी

punjabkesari.in Saturday, Sep 22, 2018 - 12:49 PM (IST)

नई दिल्लीः भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने उस विवादास्पद परिपत्र (10 अप्रैल को जारी) को नरम बना दिया, जिसमें विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी) और स्वामित्व नियमों का प्रावधान किया गया है। बाजार नियामक ने विदेशी नागरिकता प्राप्त भारतीयों (ओसीआई) सहित निवासी और प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) को एफपीआई के रास्ते भारतीय बाजारों में निवेश की मंजूरी दे दी।

हालांकि नियामक ने यह बात दोहराई है कि एफपीआई को धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के नियमों के मुताबिक केवाईसी की जरूरतें पूरी करनी होंगी। सेबी के 10 अप्रैल की विदेेशी निवेशकों विशेष रूप से भारत से जुड़ाव रखने वाले निवेशकों ने आलोचना की थी, जिसके बाद नियामक ने यह ताजा घोषणा की है। कुछ निवेशकों ने परिपत्र पर फिर से विचार करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से संपर्क किया था।

सेबी ने कहा कि एनआरआई, ओसीआई और निवासी भारतीय विदेशी फंड में 25 फीसदी से अधिक का योगदान नहीं कर सकते हैं। किसी एफपीआई में इन निवेशकों का कुल योगदान 50 फीसदी हो सकता है। निवासी भारतीय आरबीआई की उदार प्रेषण योजना (एलआरएस) के जरिए योगदान कर सकते हैं जिसमें हरेक निवेशक एक वित्त वर्ष में 250,000 डॉलर का निवेश कर सकता है। सेबी ने कहा कि एनआरआई, ओसीआई या निवासी भारतीय के पास एफपीआई का नियंत्रण नहीं होना चाहिए। बोर्ड ने साथ ही एनआरआई, ओसीआई और स्थानीय नागरिकों को किसी एफपीआई का निवेश प्रबंधक (आईएम) की तरह काम करने अनुमति दे दी बशर्ते वे कुछ शर्तों को पूरा करते हों। इनमें यह शर्त भी शामिल है कि आईएम को अपने घरेलू न्यायक्षेत्र के उचित रूप से विनियमित होना चाहिए और उसका सेबी में पंजीकरणहोना चाहिए। सेबी ने साथ ही सभी मौजूदा एफपीआई और नए आवेदकों को नई शर्तों को पूरा करने के लिए दो साल समय दिया है जबकि खान समिति ने इसके लिए छह महीने का समय देने की सिफारिश की थी। 
 


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Supreet Kaur

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