राहुल के 'मिशन MP' पर भारी पड़ी माया की चाल

9/22/2018 2:14:07 PM

भोपाल : बीजेपी के खिलाफ विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने में जुटी कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। चुनाव के एकदम करीब आकर छत्तीसगढ़ में मायावती का अजीत जोगी से हाथ मिलाना राहुल गांधी का लिए मुश्किलों का पहाड़ बना हुआ है। जो मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है।

बसपा के कांग्रेस के साथ न आने से बीजेपी को एक बार फिर सत्ता को बचाए रखने की आस नजर आ रही है। वहीं, तीन राज्यों के चुनाव के साथ-साथ 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का बनता राजनीतिक समीकरण अब बिगड़ता दिख रहा है।

मध्य प्रदेश में बसपा अकेले चुनाव लड़ती है तो इसका जितना नुकसान बसपा को होगा उससे कहीं ज्यादा कांग्रेस को होगा। कुल मिलाकर देखें तो बलि की बकरा वो पार्टी बन रही है जिसने कभी देश की सत्ता पर 70 साल तक राज किया। बसपा के अकेले चुनाव लड़ने से किस पार्टी का समाकरण क्या रहेगा आइए जानते हैं...

मध्य प्रदेश में विधानसभा सीटों की संख्या...

जनरल एससी एसटी कुल
148 35 47 230


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MP में 2003 की स्थिती
कांग्रेस ने मध्यप्रदेश विधान सभा चुनाव-2003 दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में लड़ा था। उस वक्त एमपी की 230 सीटों में 38 सीटें कांग्रेस और दो सीटें बसपा की झोली में आई थीं। लेकिन इस दौरान बसपा ने कांग्रेस का तगड़़ा नुकसान पहुंचाया था। इन चुनावों में कांग्रेस 25 सीटें सिर्फ बसपा की वजह से हार गई और बसपा 14 सीटें कांग्रेस की वजह से हारी थी। इन दोनों का कुल नुकसान अगर जोड़ा जाए तो ये वो 39 सीटें है जिन्हें दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़ते हुए हार गए थे। इस साल में भाजपा 173 सीटें जीतकर सत्ता पर काबीज हुई थी।

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विधानसभा चुनाव 2008 ने दोहराई 2003 की कहानी
साल 2008 के विघानसभा चुनाव में सीएम शिवराज सिंह चौहान लगातार दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। 2003 की ही इस चुनाव में भी बसपा और कांग्रेस अलग-अलग लड़े थे। लेकिन इस बार कांग्रेस ने 71 सीटें जीती थी और भाजपा ने 143 सीटों के साथ सत्ता में वापसी की थी। इस चुनाव में बसपा ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ते हुए करीब 39 सीटों पर झटका दिया था, जबकि खुद बसपा को करीब 14 सीटें पर कांग्रेस की वजह से मात खानी पड़ी। अगर 71+39+14 को जोड़ दिया जाए तो आंकड़ा 131 पहुंच जाता है जो की बीजेपी की 143 सीटों के बेहद करीब है।

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विधानसभा चुनाव 2013 की स्थिती
देखा जाए तो बसपा कांग्रेस के लिए हमेशा खलनायक का काम करती है। 2013 में भी बसपा की वजह से लगातार तीसरी बार शिवराज सिंह प्रदेश के सीएम बने थे। इस बार बीएसपी ने 230 सीटों में से 227 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। बसपा यहां 6.42 फीसदी वोट के साथ चार सीटें जीतने में सफल रही थी। राज्य 75 से 80 सीटों पर बसपा प्रत्याशियों ने 10 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए थे। जबकि बीजेपी और कांग्रेस के बीच 8.4 फीसदी वोट शेयर का अंतर था। बीजेपी को 165 सीटें और कांग्रेस को 58 सीटें मिली थीं।

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यूं कह सकते हैं अब तक बसपा और कांग्रेस दोनों पार्टीयां अलग-अलग चुनाव लड़ती रही हैं जिसका खामीयाजा दोनों को ही भुगतना पड़ा। आकड़ों के आधार पर देखा जाए तो भाजपा-कांग्रेस के अलावा तीसरी पार्टी बसपा इन पर भारी पड़ी है। राहुल गांधी की एक उम्मीद थी की एक गठबंधन होता तो शायद जीत उनकी झोली में होती।

दलित और आदिवासी बहुल इलाके में जोगी-माया की जोड़ी का आना कांग्रेस को दोबारा मैदान में लाने के सपने पर पानी फेर सकता है। बता दें कि प्रदेश की कुल आबादी करीब सात करोड़ है और इस आबादी का 16.2 प्रतिशत लोग दलित हैं।

इस बार बसपा-कांग्रेस साथ होते तो परिणाम क्या होता
कांग्रेस-बसपा अगर साथ आती तो इस बार उनका विनिंग कॉम्बिनेशन बन रहा था। अगर तीनों विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो बसपा और कांग्रेस के अलग लड़ने से बीजेपी 40 से 60 विधानसभा सीटों पर लाभ मिलता रहा है। कांग्रेस की बात करें तो उसे करीब 30 से 40 सीटें हर चुनाव में बसपा की वजह से गंवानी पड़ी हैं। 2018 के मध्‍य प्रदेश विधानसभा चुनाव में दोनों दलों का साथ आना विनिंग कॉम्बिनेशन साबित हो सकता था। क्‍योंकि इस बार शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ सबसे ज्‍यादा एंटी-इनकमबैंसी है। ऐसे में जिन दलों बसपा और कांग्रेस के चलते बीजेपी को फायदा मिल रहा था। उन दोनों दलों के के साथ आने से इस बार आसानी से 80 से 90 विधानसभा सीटों पर असर पड़ता। कांग्रेस-बसपा का गठबंधन इस बार विनिंग कॉम्बिनेशन साबित हो सकता था, जो कि हो नहीं सका।

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हालांकि बसपा ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 22 उम्मीद्वारों की सूची जारी कर दी है। इसमें मौजूदा चार विधायकों में से तीन को फिर से टिकट दिया गया है। मुरैना के दिमनी विधानसभा से बसपा विधायक बलवीर सिंह दंडोतिया का नाम लिस्ट में नहीं है। तीन विधायक शीला त्यागी, ऊषा चौधरी, सत्य प्रकाश शंखवार को फिर टिकट मिला है। सूची उन विधानसभा क्षेत्रों की जारी की गई है, जहां बसपा का प्रभाव ज्यादा है।
साफ दिख रहा है कि हर बार की तरह इस बार भी बसपा कांग्रेस का खेल बिगाड़ने के लिए मैदान में उतरी है।

मध्यप्रदेश में घोषित किए गए बसपा उम्मीदवार...

नाम

विधानसभा क्षेत्र

जिला

लाल सिंह केवट

सबलगढ

मुरैना

सत्य प्रकाश

अंबाह

मुरैना

लाखन सिंह यादव

सेवड़ा

दतिया

संजीव सिंह कुशवाहा

भिंड

भिंड

प्रगति लाल यादव

करैरा

शिवपुरी

बालकृष्ण महोबिया

अशोकनगर

अशोकनगर

पुष्पेंद्र अहिरवार

चंदला

छतरपुर

रामबाई परिहार

पथरिया

दमोह

बेलन सिंह धुर्वे

जबेरा

दमोह

उषा चौधरी

रैगांव

सतना

छंगेलाल कोल

अमरपाटन

सतना

रामलखन सिंह पटेल

रामपुर बाघेलान

सतना

राम गरीब कोल

सिरमौर

रीवा

पंकज सिंह पटेल

सिमरिया

रीवा

सीमा सिंह

देवतालाब

रीवा

शीला त्यागी

मनगवां

रीवा

अशोक पैगाम

चितरंगी

सिंगरौली

अवध प्रताप सिंह

धोहनी

सीधी

मोहदल सिंह पाव

जैतपुर

शहडोल

शिव प्रसाद कोल

बांधवगढ़

उमरिया

गोविंद पटेल

 बोहरीबंद

कटनी

बबीता गोटिया

सिहोरा

जबलपुर

 

 


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