नहीं रहे हिंदी के प्रख्यात कवि विष्णु खरे

punjabkesari.in Wednesday, Sep 19, 2018 - 06:52 PM (IST)

नई दिल्लीः  प्रख्यात कवि, पत्रकार और हिंदी अकादमी के उपाध्यक्ष विष्णु खरे का बुधवार को यहां एक सरकारी अस्पताल में अचानक हृदय  गति रुक जाने के कारण निधन हो गया। वह 78 वर्ष के थे। खरे को गत दिनों मस्तिष्क आघात के कारण राजधानी के जी. बी. पंत अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह कोमा में चले गए थे। वह गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती थे और उनका मस्तिष्क 80 प्रतिशत आघात के कारण प्रभावित हो गया था। उनके परिवार में पत्नी के अलावा दो पुत्रियां और एक पुत्र हैं। उनका अंतिम संस्कार कल यहां निगम बोध घाट पर ग्यारह बजे किया जाएगा।

सुप्रसिद्ध कवि एवं संस्कृतिकर्मी अशोक वाजपेयी, मंगलेश डबराल, विष्णु नागर, विनोद भारद्वाज आदि ने खरे के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है और उन्हें बेबाक, साहसी और प्रखर लेखक बताया है। उनके निकटस्थ मित्रों ने यूनीवार्ता को बताया कि अस्पताल के डॉक्टर विष्णु खरे को बचाने के लिए कई दिनों से संघर्ष कर रहे थे, लेकिन आज साढ़े तीन बजे अचानक हृदय गति रुक जाने के कारण उनका निधन हो गया।

9 फरवरी, 1940 को मध्य प्रदेश में जन्मे विष्णु खरे ने इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में एमए किया था। 1962-63 में वह दैनिक इंदौर में उप संपादक थे। फिर 1963 से 1975 तक अध्यापन कार्य से जुड़े रहे। वह दिल्ली विश्वविद्यालय के मोती लाल नेहरू कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे। इसके बाद साहित्य अकादमी में उप सचिव भी रहे। वह दिल्ली में नवभारत टाइम्स के सहायक संपादक तथा इसी अखबार के लखनऊ और जयपुर संस्करण के संपादक भी रहे। उनकी चर्चित पुस्तकों में 'सबकी आवाज के पर्दे में', 'खुद अपनी आंख से' तथा 'आलोचना की पहली किताब' शामिल है।

खरे ने विश्व के प्रसिद्ध कवियों और लेखकों की रचनाओं का हिंदी में अनुवाद किया था तथा उनकी ख्याति एक प्रमुख फिल्म समीक्षक के रूप में भी थी। उन्हें हिंदी अकादमी सम्मान, मध्य प्रदेश साहित्य शिखर सम्मान और रघुवीर सहाय सम्मान मिल चुका था।


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Yaspal

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