68500 शिक्षक भर्ती हाईकोर्ट के फैसले के अधीन, 3 दिन का समय देते हुए UP सरकार से मांगा जवाब

punjabkesari.in Tuesday, Sep 18, 2018 - 04:06 PM (IST)

लखनऊः 68500 सहायक शिक्षक भर्ती मामला अब तूल पकड़ता दिखाई दे रहा है। इस मामले में हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए इसकी पूरी जानकारी मांगी है। इसके अलावा अब इन शिक्षकों की भर्ती हाईकोर्ट के फैसले के अधीन होगी। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल कर उत्तरपुस्तिका बदलने संबंधी मामले की जांच में प्रगति व दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का ब्यौरा तलब किया है। इसके साथ ही उत्तरपुस्तिका बार कोडिंग पर भी सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। 

राज्य सरकार को दी 3 दिन की समय
हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सोमवार को सरकार को तीन दिन का समय देते हुए कहा कि सरकारी वकील हलफनामा दाखिल करके अपनी बात रखें। हलफनामे में अब तक सामने आई जांच की प्रगति बताएं और दोषी अधिकारियों और उन पर हुई कार्रवाई की भी जानकारी दें। यह भी बताएं कि अभ्यर्थियों को अंक किस प्रकार दिए गए, उत्तर पुस्तिकाओं की बार-कोडिंग किस प्रकार की गई। बता दें कि अगली सुनवाई 20 सितंबर को रखी गई है। 

भर्तियां कोर्ट के निर्णय के रहेंगी अधीन
सोनिका देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस इरशाद अली ने कहा कि अब तक की गई सभी भर्तियां कोर्ट के निर्णय के अधीन रहेंगी। कोर्ट ने यह आदेश महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह के मौखिक कथन और जवाबों से असंतुष्ट होने पर दिया। 31 अगस्त को कोर्ट के समक्ष विशेषज्ञों की जांच में सामने आया कि उत्तर पुस्तिका पर दर्ज बार-कोड का मिलान नहीं हो रहा है। प्राधिकरण के सचिव द्वारा दी गई इस उत्तर पुस्तिका के पहले पृष्ठ और भीतर पृष्ठों के बार बार-कोड अलग अलग हैं। इस पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई और प्रदेश सरकार को अपना पक्ष रखते हुए मामले के दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए कहा था। साथ ही सोनिका देवी को अस्थायी रूप से काउंसलिंग में शामिल करने के आदेश दिए थे।

भर्ती में हुई धांधली की बातें आई सामने
वहीं मामला कोर्ट में पहुंचा तो इस भर्ती में हुई धांधली की सारी बातें धीरे-धीरे सामने आने लगी हैं। जांच में पता चलता है कि कई छात्रों को स्कैन कॉपी में अधिक, जबकि रिजल्ट में कम नंबर मिले थे। यही नहीं, कई ऐसे अभ्यर्थियों को भी सहायक अध्यापक बना दिया गया जो इस परीक्षा में शामिल ही नहीं हुए थे। परीक्षा में गड़बड़ी की आशंका पर अभ्यर्थियों ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी की तत्कालीन सचिव सुत्ता सिंह से अपनी आंसर शीट की स्कैन कॉपी मांगी तो उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया। न्यायालय के आदेश पर मिली स्कैन कॉपी देखने के बाद परीक्षा में हुई धांधली भी सामने आ गई। इसके अलावा सांठगांठ से अभ्यर्थियों को चयनित कराने के लिए उत्तर पुस्तिका और रोल नंबर बदलने का भी खुलासा हुआ है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Ruby

Recommended News

Related News

static