अमरीका ने तालिबान को लेकर किया गुमराह

punjabkesari.in Tuesday, Sep 18, 2018 - 02:30 PM (IST)

काबुल/ वॉशिंगटनः अफगानिस्तान से तालिबान  को मुक्त कराने के लिए अमरीका ने बड़ा सैन्य अभियान चलाया। 2014 में अमरीका ने अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को जब वापस बुलाया तो उसे लेकर कुछ सवाल भी उठे थे। अफगानिस्तान से सैन्य बल हटाने का अमरीका का फैसला मानवीय आधार पर था या फिर यह क्षेत्र में तालिबान के प्रभाव के खत्म हो जाने के आधार पर लिया गया? पिछले कुछ समय में तालिबान ने अफगानिस्तान में कई बड़ी साजिश अंजाम दी हैं। सोमवार को भी तालिबानी हमले में 27 सुरक्षा बलों के जवान की मौत हो गई। इस घटना के बाद पूरे विश्व में ऐसे सवाल उठ रहे हैं कि क्या अमरीका ने तालिबान को लेकर सही तस्वीर पेश नहीं की थी?  

अफगान संघर्ष में अब तक 2,200 अमरीकी नागरिकों की मौत हो चुकी है और तालिबान को खत्म करने के लिए अमरीका ने 840 बिलियन (60,954 करोड़) रुपए तक खर्च किया है। अफगानिस्तान में तालिबान को नष्ट करने और पुनर्वास और विकास कार्यों में यह बड़ी रकम खर्च की गई है। अमरीका ने अफगानिस्तान में बड़ी संख्या में अपने सैन्य बल तैनात किए और बड़ी रकम भी खर्च की। इस पूरी कवायद के पीछे उद्देश्य था कि दुनिया में यह संदेश जाए कि आतंक के खिलाफ अमरीका की प्रतिबद्धता है और वह आतंक प्रभावित देश के नागरिकों के कल्याण के लिए समर्पित है। 

2017 के बाद से अब तक के हालात देखे जाएं तो तालिबान के पूरी तरह से खत्म होने के आसार दूर-दूर तक नहीं दिख रहे हैं। तालिबान का प्रभाव आज अफगानिस्तान के जितने बड़े क्षेत्र में है, उतना इससे पहले कभी नहीं रहा। पिछले एक सप्ताह में तालिबान के अलग-अलग हमलों में 200 से अधिक पुलिस और सुरक्षा बलों के जवान मारे जा चुके हैं। इसी महीने में अफगानिस्तान के प्रमुख सैन्य ठिकानों पर तालिबान ने हसले किए और गजनी शहर में दहशतगर्दी मचाई। 


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Tanuja

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