मेयर को हटाने की पावर अब सरकार के हाथ में

punjabkesari.in Monday, Sep 17, 2018 - 10:38 AM (IST)

चंडीगढ़(बंसल): प्रदेश में मेयर चुनाव संबंधी नए कानून के लागू होने के बाद जहां मेयर को कुछ शक्तियां मिलेंगी, वहीं अब उसे हटाने की पावर भी सरकार के हाथ में आ जाएगी।अभी तक मेयर को चुने गए पार्षदों द्वारा दो-तिहाई बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव पारित कर हटाने का प्रावधान था, लेकिन अब यह प्रावधान मेयर पर नहीं, बल्कि केवल सीनियर डिप्टी या डिप्टी मेयर पर लागू होगा। अब जहां मेयर को जनता सीधे चुनेगी, वहीं सरकार मेयर को हटा भी सकती है। राज्य में सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव सीधे तौर पर मेयर की भांति नहीं होगा। 

इन दोनों पदों पर पूर्व की तरह निर्वाचित पार्षद ही नियुक्त किए जा सकेंगे। प्रदेश में 10 नगर निगम हैं। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के अधिवक्ता हेमंत कुमार के अनुसार सरकार अगर किसी चुने गए मेयर को सस्पैंड करती है अथवा पद से हटाती है तो इस अवस्था में मेयर का कार्यभार सीनियर डिप्टी मेयर या डिप्टी मेयर को नहीं दिया जाएगा, अपितु सीधे चुने गए मेयर की कैटेगरी/वर्ग के उसी पार्षद को दिया जाएगा, जिसके साथ सबसे अधिक पार्षदों का समर्थन होगा। 

नए कानून में प्रावधान किया गया है कि अगर मेयर की कैटेगरी से निगम में एक ही पार्षद जीतकर आया है तो उसे ही कार्यभार दिया जाएगा। उदाहरण के लिए अगर मेयर का पद अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित है तथा निगम में एक ही ऐसी महिला और हुई तो उसे कार्यभार सौंप दिया जाएगा। अगर मेयर बीमारी या किसी अन्य कारण से अवकाश पर होगा तो सीनियर डिप्टी मेयर और अगर वह भी नहीं है तो डिप्टी मेयर कामकाज देख सकेंगे। 

हरियाणा नगर निगम (द्वितीय संशोधन) विधेयक-2018 में प्रावधान किया गया है कि एक ही व्यक्ति एक ही समय में मेयर, पार्षद, विधायक और सांसद के पद पर इकट्ठे नहीं रह सकता। उसे इनमें से एक पद चुनना होगा। राज्य सरकार कुछ निर्धारित विशेष परिस्थितियों में मेयर को एक सुनवाई का मौका देकर सीधे अपने पद से हटा सकती है। सरकार चुने गए मेयर को छह माह के लिए सस्पैंड (निलंबित) भी कर पाएगी, जो कि अब तक केवल पार्षद के संबंध में होता था। नए कानून के मुताबिक अगर मेयर पर नैतिकता के हनन का मामला है तो निलंबन की समय सीमा अधिक भी हो सकती है। 


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Rakhi Yadav

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