सावधान! बिजली बिल भरने से पहले पढ़ लें ये खबर, वरना कट सकती है जेब

punjabkesari.in Wednesday, Sep 12, 2018 - 05:09 PM (IST)

कलायत(जोगिंदर कुंडू): अगर बिजली विभाग की तरफ से आपका पिछला बिल बार-बार जुड़कर आ रहा है तो सावधान हो जाइये क्योंकि हो सकता है कि किसी फ्रॉड के चलते आपका बिजली का बिल जमा ही नहीं हुआ हो। बिजली विभाग का कोई नटवरलाल आपकी जेब तराशने में लगा हो। ऐसा ही कुछ कैथल में एक बिजली विभाग के कर्मचारी ने किया, जिसने 2 महीने के उपभोक्ता बिलों में लगभग साढ़े 4 लाख का फ्रॉड कर दिया।

कैथल के कलायत कस्बे में उपभोक्ताओं द्वारा भरे गए बिजली बिल की एंट्री कैंसिल कर साढ़े चार लाख रुपए का गबन करने का मामला सामने आया है। गबन करने वाले एएलएम कम कैशियर गोविंद को बिजली निगम ने सस्पेंड कर दिया है। विभाग ने कैशियर के खिलाफ कार्रवाई करते हुए विभागीय जांच के आदेश भी दिए हैं क्योकि ये सिर्फ दो महीने के बिलों का मामला ही सामने आया है इसमें पिछले रिकार्ड के साथ भी छेड़छाड़ सामने आ सकती है।

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जानकारी के मुताबिक, एएलएम गोविंद बिजली निगम के कलायत कार्यालय में कैशियर का काम संभाल रहा था। जिसने उपभोक्ताओं द्वारा भरे गए बिल की लाखों रुपए राशि का गबन किया। एसडीओ ने अप्रैल व मई महीने का ऑडिट करवाया तो 4.50 लाख रुपए का गबन सामने आया था। अब विभाग पिछले रिकॉर्ड की भी जांच करवाएगा।

ऐसे करता था गड़बड़झाला
गौरतलब है कि बिजली निगम में बिल जमा करवाने पर कंप्यूटर प्रिंटर से रसीद निकलती है जो उपभोक्ता को दे दी जाती है, लेकिन विभाग के पास सिर्फ कंप्यूटर में रिकॉर्ड रहता है, जिसको बाद में बैकअप लेकर हेड ऑफिस से ऑनलाइन कर दिया जाता है। लेकिन गोविन्द बिल भरने के बाद पूरे दिन के डाटा से जो भी मोटी रकम के बिल वाली एंट्री होती थी उसको बैकअप से पहले उड़ा देता था ताकि डाटा ऑनलाइन ना हो सके। चूंकि ऑनलाइन होने के बाद ही उपभोक्ता द्वारा किया गया भुगतान उसके बिजली कनेक्शन के खाते में जमा होते हैं, लेकिन गोविन्द के बैकअप से एंट्री उड़ाने के बाद रिकॉर्ड विभाग के पास ऑनलाइन होने के लिए पहुंचता ही नहीं था जिससे विभाग के पास उपभोक्ता का बकाया पेंडिंग ही रहता था।

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बिजली निगम के अधिकारियों के अनुसार निगम का सॉफ्टवेयर बैंक की तरह काम करता है। निगम कर्मचारी गलती से कंप्यूटर में कम या ज्यादा राशि एंट्री करके सेव कर दे तो उसके पास बाद में भी संशोधन करने का विकल्प होता है। इसी बात का फायदा गोविंद ने उठाया। वह संशोधन वाले ऑप्शन पर क्लिक करके उपभोक्ता द्वारा भरे गए बिल की राशि को कम कर देता। शुरूआत में निकली रसीद को फाड़ देता और संशोधन के बाद निकाली रसीद ही हेड क्लर्क को देता था। ऐसे में उपभोक्ता को विश्वास रहता कि उसका बिल जमा हो गया और रिकॉर्ड के तौर पर कंप्यूटर रसीद है, लेकिन जब अगले बिल में पिछली राशि भी जुड़कर आती तो निगम के चक्कर काटने पड़ते। 

गोविंद द्वारा की गई राशि पकडऩा निगम के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं था। जब निगम से कंप्यूटर में की गई गड़बड़ पकड़ में नहीं आई तो हॉर्टट्रोन से सॉफ्टवेयर इंजीनियर बुलाए गए और सॉफ्टवेयर को खंगाला। महज दो महीने के ऑडिट में ही चार लाख 50610 रुपए का गबन सामने आया है। अब पुराने रिकॉर्ड का ऑडिट करने पर गबन की राशि बढऩे का अनुमान है। एएलएम गोविंद को सस्पेंड कर दिया गया है। आदेश दिए हैं कि वह हेड ऑफिस रहेगा और अधिकारियों की अनुमति के बिना हेड क्वार्टर नहीं छोड़ सकेगा। अभी मामले की जांच की जा रही है। 


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Shivam

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