‘‘ऊंचे पहाड़ पर जमती है सिर्फ कफन की तरह सफेद और मौत की तरह ठंडी बर्फ’’

punjabkesari.in Thursday, Aug 16, 2018 - 07:50 PM (IST)

कुल्लू: ऊंचे पहाड़ पर पेड़ नहीं लगते, पौधे नहीं उगते, न घास ही जमती है। जमती है सिर्फ बर्फ, जो कफन की तरह सफेद और मौत की तरह ठंडी होती है।। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविता की ये पंक्तियां जीवंत हैं और सदा के लिए जीवंत रहेंगी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अक्सर मनाली के प्रीणी गांव स्थित अपने घर आते रहते थे। इस गांव में अपने घर के आंगन में बैठकर उन्होंने कई कविताएं लिखीं। यहां की पहाडिय़ों, वादियों, घने जंगलों व दिल्ली से भुंतर तक की हवाई यात्रा सहित कई बातों को उन्होंने अपनी कविताओं में उकेरा है।

प्रीणी गांव में छाया मातम
उनके निधन की सूचना मिलते ही उनके प्रीणी गांव में भी मातम छा गया है। प्रधानमंत्री रहते हुए भी अटल बिहारी वाजपेयी कई बार मनाली के प्रीणी गांव में आए और कई दिनों तक यहीं रहे। यहीं से पूरी सरकार चलती रही। रोहतांग टनल का नींव पत्थर अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री रहते हुए मनाली के बाहंग में रखा था। रोहतांग टनल को बनाने की घोषणा अटल बिहारी वाजपेयी ने लाहौल दौरे के दौरान की थी। उसके बाद इस महत्वाकांक्षी परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए इसका शिलान्यास किया और अब यह टनल बनकर लगभग तैयार है। इसी साल के अंत में या आगामी वर्ष के शुरूआती दौर में इस टनल का लोकार्पण किया जा सकता है।

आज भी हरे-भरे हैं देवदार के पेड़
मनाली में अटल बिहारी वाजपेयी अक्सर गांव के लोगों के बीच बैठते थे और उनसे बतियाते हुए कई योजनाओं पर चर्चा करते थे। प्रीणी स्कूल में कार्यक्रम के आयोजन के दौरान स्कूल को उन्होंने कई सौगातें दीं। स्कूल परिसर में अटल जी द्वारा लगाए गए देवदार के पेड़ आज भी हरे-भरे हैं। अटल जी जब भी प्रीणी आते थे तो उनके लिए गांव की ओर से कुल्लवी धाम परोसी जाती थी।

सदा खलती रहेगी अटल जी की कमी
ग्रामीण लोत राम, देवी राम, गोपाल नेगी, तुले राम व बुध राम कहते हैं कि अटल जी जब प्रधानमंत्री नहीं थे, तब भी वे प्रीणी आते थे और उनसे जरूर मिलते थे। पूर्व पंचायत प्रधान कुंदन लाल ने बताया कि उनके प्रधान रहते हुए अटल जी प्रीणी आए थे लेकिन तब अटल जी प्रधानमंत्री नहीं थे। उन्होंने बताया कि अटल जी को 5 जून, 2006 को उन्होंने स्पेयर पार्ट्स से तैयार की गई एक घड़ी उपहार में दी थी। अटल जी कई वर्षों तक स्कूल की लाइब्रेरी के लिए पुस्तकें आदि भेजते रहे। जबसे उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहा तब भी पुस्तकें आती रहीं।

कई तरह की चीजों के रूप में मौजूद हैं अटल की यादें
अटल जी की यादें इस गांव में कई तरह की चीजों के रूप में मौजूद हैं। पंचायत प्रधान शिवदयाल बताते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी जैसी शख्सियत उनके पड़ोसी हैं, इस बात का हर ग्रामीण को गर्व है। उन्होंने कहा कि हालांकि बीमार होने के चलते 2006 के बाद अटल जी मनाली नहीं आए लेकिन प्रीणी वासी तब से 25 दिसम्बर को उनके जन्मदिवस उत्सव के रूप में मनाते हैं। उन्होंने कहा कि अटल जी की कमी हमेशा प्रीणी के ग्रामीणों को खलती रहेगी।

1968 में पहली बार मनाली आए थे अटल बिहारी वाजपेयी
भारत रत्न एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 1968 में पहली बार मनाली आए थे। वाजपेयी मनाली की वादियों से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने मनाली को ही अपना दूसरा घर बना लिया। जीवनभर राजनीति में सक्रिय रहने वाले अटल ने 1990 में मनाली के अलेऊ में जमीन खरीदी और 1992 में अपना आशियाना बनाया। 1992 के बाद उनका मनाली आना-जाना लगा रहा। उन्होंने मनाली को न केवल अपना दूसरा घर माना बल्कि प्रधानमंत्री बनने पर एक एक सप्ताह तक मनाली से ही देश का संचालन किया। मनाली के प्रीणी वासियों ने उन्हें सदा के लिए मुखिया की उपाधि दी। ग्रामीणों के वे प्रिय चाचू बन गए। अटल जी जब भी मनाली रहने आते थे तो ग्रामीण उन्हें सब्जियां और स्थानीय पकवान पहुंचाते थे। अटल ने ङ्क्षहदी कवि पत्रकार व उच्चकोटि के वक्ता के रूप में अलग से पहचान बनाई।

दोस्त से मिलने लाहौल जा पहुंचे थे अटल
प्रधानमंत्री रहते हुए लाहौली दोस्त से मिलने अटल जी लाहौल जा पहुंचे थे। लाहौल घाटी के केलांग में रैली को संबोधित करने के बाद अटल ने अपने बचपन के दोस्त अर्जुन गोपाल टशी दवा संग समय बिताया। अर्जुन गोपाल जी का जब निधन हो गया तो अटल जी ने अपने दोस्त के बेटे संग फोन पर शोक प्रकट किया था। अटल बिहारी वाजपेयी ने 2002 में रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नाडीस के साथ रोहतांग सुरंग के साऊथ पोर्टल की सड़क का शिलान्यास किया।


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Vijay

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