मथुरा: शहीद पुष्पेन्द्र सिंह को नम आंखों से दी गई अंतिम विदाई, लगे पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे

punjabkesari.in Thursday, Aug 16, 2018 - 09:57 AM (IST)

मथुरा: कश्मीर में शहीद हुए जवान पुष्पेन्द्र को उत्तर प्रदेश में मथुरा की गोवर्धन तहसील इलाके में उनके खुटिया गांव में हजारों ग्रामीणों ने अश्रुपूरित नेत्रों से बुधवार को अंतिम विदाई दी। इस अवसर पर शहीद के घर पहुंचे उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी ने शहीद हुए पुष्पेन्द्र सिंह के परिवार को सरकार की ओर से 25 लाख रूपए का चेक प्रदान किया। परिवारीजनों एवं ग्रामीणों ने शहीद के परिवार को खेती के लिए जमीन एवं विधवा सुधा को सरकारी नौकरी देने की मांग की है क्योंकि शहीद के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। पुष्पेन्द्र के पिता तेजसिंह राज मिस्त्री हैं, वहीं बड़ा भाई बनवारी रिक्शा चलाकर परिवार का पालन-पोषण करता है।

PunjabKesariउनकी मांग पर मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी ने कहा कि विधवा सुधा चूंकि स्नातक है इसलिए शासन की नीति के अनुसार उसे सरकारी नौकरी मिलेगी। जहां तक खेती के लिए जमीन दिलाने का सवाल है जल्दी ही जमीन तलाशकर परिवार को कृषि के लिए पट्टे पर जमीन दिलाई जाएगी। अंतिम संसकार के समय वातावरण उस समय और गमगीन हो गया जब ‘जब तक सूरज चांद रहेगा पुष्पेन्द्र तेरा नाम रहेगा’ के गगनभेदी नारों के मध्य शहीद के 8 माह के बेटे सिद्धार्थ ने अपने ताऊ बनवारी की गोद में रहते हुए अपने पिता की चिता की परिक्रमा कर उसे मुखाग्नि दी।

PunjabKesariयह दृश्य इतना मार्मिक था कि प्रदेश के डेयरी, अल्पसंख्यक कल्याण, वक्फ एवं सांस्कृतिक कार्य मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी, विधायक कान्हा सिंह, जिलाधिकारी सर्वज्ञराम मिश्र, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बबलू कुमार, रालोद जिला अध्यक्ष कुंवर नरेन्द्र सिंह, भूमि विकास बैंक के चेयरमैन गोविन्द चौधरी समेत हजारों लोग अपने आंसू नहीं रोक सके। मुखाग्नि देने के पूर्व सेना की ओर से मथुरा के लाल को सलामी भी दी गई।

PunjabKesariउल्लेखनीय है कि शहीद का शव मंगलवार शाम 7 बजे के बाद जब उसके पैतृक गांव खुटिया पहुंचा तो युवकों ने ‘शहीद पुष्पेन्द्र अमर रहे’ के साथ ही ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे भी लगाए। बाद में शव को स्मारक स्थल पर ले जाया गया जहां पर पुष्पेन्द्र के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि उसके बेटे ने दी। शहीद पुष्पेन्द्र की विधवा सुधा ने बताया कि उसके पति को इस अवस्था का आभास पहले ही हो गया था तभी वह लगभग 2 माह पहले छुट्टियों के बीच सीमा पर जाने को कहा था कि सीमा पर कुछ भी हो सकता है और यदि तिरंगे में लिपटा उसका शव गांव आवे तो आंसू न बहाना।


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