आशुतोष के इस्तीफे पर बोले केजरीवाल, 'इस जन्म में तो स्वीकार नहीं होगा'
punjabkesari.in Wednesday, Aug 15, 2018 - 02:54 PM (IST)
नई दिल्लीः आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता आशुतोष ने आज निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया, हालांकि पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वह आशुतोष का त्यागपत्र ‘इस जन्म में तो स्वीकार नहीं करने वाले हैं।’ आशुतोष के ट्विटर पर आप से अपने इस्तीफे की घोषणा के कुछ देर बाद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, ‘‘हम आपका इस्तीफा कैसे स्वीकार कर सकते हैं। न, इस जन्म में तो नहीं।’’ उधर, आप के एक वरिष्ठ नेता ने पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) को आशुतोष का इस्तीफा मिलने की पुष्टि करते हुए कहा कि अभी इसे मंजूरी नहीं मिली है। समझा जाता है कि आशुतोष ने मंगलवार को ही पीएसी को अपना इस्तीफा भेजा था। आशुतोष ने स्वयं आज ट्वीट कर पार्टी से नाता तोड़ने की जानकारी सार्वजनिक की।
How can we ever accept ur resignation?
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) August 15, 2018
ना, इस जनम में तो नहीं। https://t.co/r7Y3tTcIOZ
उन्होंने कहा ‘‘हर यात्रा का अंत अवश्यंभावी है। आप के साथ मेरे खूबसूरत और क्रांतिकारी जुड़ाव का भी अंत हो गया है। मैंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और पीएसी से इसे स्वीकार करने का अनुरोध किया है।’’ आशुतोष ने पार्टी से इस्तीफे की वजह बताते हुए कहा कि यह नितांत निजी कारणों से लिया गया फैसला है। सूत्रों के अनुसार, आशुतोष के इस्तीफे पर विचार करने के लिए जल्द ही पीएसी की बैठक आहूत की जाएगी। पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे कुमार विश्वास और आशुतोष भी पीएसी के सदस्य हैं।
उल्लेखनीय है कि साल 2015 में दिल्ली में केजरीवाल सरकार के गठन के बाद आप से अलग हुए प्रमुख नेताओं की फेहरिस्त में आशुतोष, चौथा बड़ा नाम हैं। इससे पहले आप के संस्थापक सदस्य योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण और शाजिया इल्मी पार्टी से नाता तोड़ चुके हैं। इसके अलावा प्रो. आनंद कुमार, पूर्व विधायक विनोद बिन्नी और पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा भी पार्टी से दूरी बना चुके हैं।
पिछले कुछ समय से पार्टी की गतिविधियों से अलग चल रहे कुमार विश्वास भी आप नेतृत्व से नाराज बताए जाते हैं। वह आप संयोजक अरविंद केजरीवाल की कार्यशैली पर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से समय समय पर सवाल उठाते रहे हैं। पूर्व पत्रकार आशुतोष ने साल 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप को मिली कामयाबी के फलस्वरूप केजरीवाल के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद साल 2014 में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में वह आप के टिकट पर दिल्ली की चांदनी चौक सीट से चुनाव लड़े थे। हालांकि इसमें उन्हें भाजपा के डा. हर्षवर्धन के सामने हार का सामना करना पड़ा था। व
ह इस साल जनवरी में दिल्ली की राज्यसभा की तीन सीटों के लिए तय किए गए उम्मीदवारों की सूची में शामिल नहीं किए जाने के बाद से असंतुष्ट चल रहे थे। उन्होंने उम्मीदवारों के रूप में दो कारोबारियों को चुने जाने पर पीएसी की बैठक में भी असहमति व्यक्त की थी।