राज्यपाल ने यमुनानगर के तेजली खेल परिसर में किया ध्वजारोहण

punjabkesari.in Wednesday, Aug 15, 2018 - 01:14 PM (IST)

यमुनानगर(सुमित ओबेरॉय): हरियाणा के महामहिम राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने यमुनानगर के तेजली खेल परिसर में आयोजित 72वें राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर ध्वजारोहण किया तथा परेड का निरीक्षण कर मार्च पास्ट की सलामी ली। परेड का नेतृत्व अम्बाला के सहायक पुलिस अधीक्षक चन्द्र मोहन ने किया। उन्होंने अपने सम्बोधन में भारत माता के वीर सपूतों जिन्होंने आजादी के लिए अपने बलिदान दिए व आजादी के बाद मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर किए, उनको नमन किया और राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस के ऐतिहासिक अवसर पर सबको हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं दी। 

उन्होंने 7 स्वतंत्रता सेनानियों, 35 युद्घ वीरांगनाओं, हिन्दी आंदोलन 1857 के 10 आंदोलनकारियों,1977 में आपातकालीन स्थिति के दौरान विभिन्न जेलों में रहे 39 व्यक्तियों तथा भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वाले जिला के 26 लोगों जिसमें पुलिस व अन्य विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारी, खिलाड़ी तथा समाज सेवी शामिल हैं, उनको अपने करकमलों से पुरस्कार देकर सम्मानित किया।  

उन्होंने कहा कि 71 साल पहले वर्ष 1947 में इसी शुभ दिन की पावन बेला में स्वतंत्रता सेनानियों के साथ-साथ हर भारतवासी का आजादी पाने का सपना साकार हुआ था। इसलिए यह दिन भारतवासियों के लिए बड़े गर्व और गौरव का दिन है। इसी दिन के लिए कितने ही देशभक्तों ने विदेशियों के हाथों अनेक यातनाएं सहीं। राजगुरू-सुखदेव-भगतसिंह जैसे वीरों ने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूमा। लाला लाजपत राय ने लाठियां खाईं। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, चन्द्रशेखर आजाद और न जाने कितने ही देशभक्तों ने आजादी की बलिदेवी पर अपने प्राण न्यौछावर किए।

आज हम आजादी की लड़ाई में जान न्यौछावर करने वाले सब ज्ञात-अज्ञात शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। उन सब स्वतंत्रता सेनानियों को भी नमन करें जिन्होंने हमें स्वतंत्रता का उपहार देने के लिए निरंकुश विदेशी शासकों के हाथों कठोर यातनाएं सहीं। हम उनके सदैव ऋणी रहेंगे। उन्होंने कहा कि हम उनके जैसी देशभक्ति, देशप्रेम, साहस व कर्तव्यनिष्ठा का प्रण लें।

हरियाणा महामहिम राज्यपाल ने कहा कि इतिहास के पन्नों में स्वतंत्रता आंदोलन एक युगान्तकारी घटना है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में इस आंदोलन का हथियार अहिंसा था। आजादी के बाद महान दूरदर्शी नेता डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद, जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, डॉ0 भीमराव अंबेडकर, मौलाना आजाद जैसे नेताओं ने लोगों की रचनात्मक क्षमताओं का उपयोग राष्ट्रीय एकता और राष्ट्र निर्माण के कार्य में किया। उन्होंने कहा कि हम उन राष्ट्र निर्माताओं, सीमा प्रहरी सैनिकों, प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों, अन्नदाता किसानों, मेहनतकश कामगारों के प्रति भी गहन कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।

 जिन्होंने अपनी प्रतिभा, साहस और मेहनत के बल पर भारत को दुनिया की बड़ी शक्ति के रूप में खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा वासियों को गर्व है कि देश के स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई। स्वतंत्रता आन्दोलन की पहली चिंगारी 8 मई 1857 को अंबाला से फूटी थी। उस समय हरियाणा में अंग्रेजों ने अनेक वीरों को सरेआम फांसी दी थी और छह-छह साल के बच्चों तक को गिरड़ी से कुचला दिया था। उन्होंने कहा कि हरियाणा के वीरों ने आजादी के बाद भी देश की सीमाओं की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 
   


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Rakhi Yadav

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