मुम्बई में रोज होती हैं 9 महिलाएं छेड़छाड़ और 2 दुष्कर्म की शिकार

punjabkesari.in Saturday, Aug 11, 2018 - 05:41 AM (IST)

मुम्बई में साढ़े 6 वर्षों के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 85 प्रतिशत वृद्धि हुई है। वर्ष 2018 के ही पहले 6 महीनों में 3047 मामले दर्ज किए गए हैं। इसके विपरीत 2012 में 1649 मामले रिपोर्ट किए गए थे। मुम्बई पुलिस के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अपराधों, जिनमें दुष्कर्म, छेड़छाड़, अपहरण, ससुराल द्वारा अत्याचार तथा हत्याएं शामिल हैं, में 2012 से निरंतर वृद्धि हुई है। 

2017 में राज्य में पंजीकृत दुष्कर्म के 4356 तथा छेड़छाड़ के 12238 मामलों में से क्रमश: 20 प्रतिशत और 15 प्रतिशत मुम्बई से थे। राष्ट्रीय राजधानी में गत वर्ष महिलाओं के खिलाफ अपराधों के 8644 मामले रिपोर्ट किए गए। इसी समय के दौरान मुम्बई में 5425 मामले दर्ज किए गए। पुलिस का मानना है कि इस संख्या में वृद्धि का एक कारण लोगों में अपराधों बारे रिपोर्ट दर्ज करवाने की जागरूकता तथा न्यायिक प्रणाली में ‘विश्वास’ है। पुलिस उपायुक्त एवं मुम्बई पुलिस के प्रवक्ता मंजूनाथ शिंगे ने बताया कि उन्होंने प्रत्येक पुलिस स्टेशन में महिलाओं के लिए एक अलग प्रकोष्ठ बनाया है। उनके खिलाफ मामलों से निपटना उनकी प्राथमिकता है। वे शिकायतों को गंभीरतापूर्वक लेते हैं और तुरंत मामले दर्ज करते हैं। उन्होंने कहा कि बिना किसी डर के अपराधों बारे रिपोर्ट करना हमारे जागरूकता अभियानों की सफलता को प्रतिङ्क्षबबित करता है। 

महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की चेयरपर्सन विजया राहतकर बताती हैं कि जहां संभवत: जागरूकता अभियानों ने महिलाओं को रिपोर्ट दर्ज करवाने के लिए प्रेरित किया है, वहीं एक सुरक्षित वातावरण तैयार करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक समाज होने के नाते हमें सामूहिक तौर पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी लेनी होगी। पूर्व पुलिस आयुक्त एम.एन. सिंह को छेड़छाड़ करने वालों द्वारा महिलाओं की हत्याएं करने के मामलों का बढ़ता जाना ङ्क्षचताजनक लगता है। वह शहर में अपराधों के बढऩे के लिए छोटे नगरों से आने वाले प्रवासियों को भी जिम्मेदार मानते हैं।

उनका कहना है कि अपराधों के पीछे अन्य के अतिरिक्त सामाजिक के साथ-साथ आर्थिक कारण भी होते हैं। सिंह ने बताया कि युवा लड़कों को यह सिखाना महत्वपूर्ण है कि वे महिलाओं को अपनी इच्छापूॢत के साधन के तौर पर इस्तेमाल नहीं कर सकते क्योंकि वे उनके बराबर हैं। उनका मानना है कि कड़ी सजा के माध्यम से उदाहरण स्थापित करना ऐसे अपराधों को रोकने में एक दीर्घकालिक उपाय साबित होगा।-वी. ओजारकर 


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Pardeep

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