Kundli Tv- रावण को पराजित कर मां सीता को यहां लाए थे श्रीराम

punjabkesari.in Wednesday, Aug 08, 2018 - 01:54 PM (IST)

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महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन से 6 किलोमीटर दूर जवास्या में भगवान गणेश का एक अनोखा मंदिर स्थित है, जिसे आज के समय में चिंतामण गणेश के नाम से जाना जाता है। मंदिर परिसर के गर्भगृह में आते ही बप्पा की तीन प्रतिमाओं के दर्शन करने को मिलते हैं। पहला चिंतामण, दूसरा इच्छामन और तीसरा सिद्धिविनायक। मान्यता है कि पहला रुप अपने भक्तों को चिंता से मुक्ति प्रदान करते हैं, दूसरा सबकी इच्छाएं पूर्ण करते हैं और तीसरा सिद्धिविनायक रुप सिद्धि प्रदान करता है। मंदिर में प्रवेश करने से पहले ऊपर देखने पर एक श्लोक भी लिखा हुआ दिखाई देता है। 
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कल्याणानां निधये विधये संकल्पस्य कर्मजातस्य।
निधिपतये गणपतये चिन्तामण्ये नमस्कुर्म:।    

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि रावण को हरा कर वापिस लौटते समय जब माता सीता को प्यास लगी थी तो लक्ष्मण जी ने अपने बाण से इसी जगह पर एक बावड़ी बना दी थी, जिसकी गहराई 80 फुट है और जो आज के समय में जिसे लक्ष्मण बावड़ी के नाम से जानी जाती हैं। भगवान राम ने अपनी वनवास यात्रा की निर्विघ्नता के लिए षट् विनायकों की स्थापना करी थी। मंदिर की खास बात यह भी है कि गणेश चतुर्थी, तिल चतुर्थी और प्रत्येक बुधवार को यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है। चैत्र मास के प्रत्येक बुधवार को यहां मेला भी लगता हैं।
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मंदिर में गणेश जी का श्रृंगार सिंदूर और वर्क से किया जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मनोकामना पूर्ण करने के लिए श्रद्धालु यहां मन्नत का धागा बांधते हैं और उल्टा स्वस्तिक भी बनाते हैं। मन्नत के लिए दूध, दही, चावल और नारियल में से किसी एक वस्तु को चढ़ाया जाता है और जब वह इच्छा पूर्ण हो जाती है तब उसी वस्तु का यहां दान भी किया जाता है। ऐसा करने से गणेश जी की कृपा हमेशा बनी रहती है।
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यहां पहुंचने के लिए इंदौर का हवाई अड्डा है जोकि 60 किलोमीटर दूर है और इन्दौर से उज्जैन बस या रेल से पहुंचा जा सकता है।
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