US संसद में भारत से गहरे रिश्तों पर एक और मोहर, खुल गए रक्षा सौदे के द्वार

punjabkesari.in Thursday, Aug 02, 2018 - 01:13 PM (IST)

 लॉस एंजिलेसः भारत के साथ अमरीकी रिश्ते पर अमरीकी संसद में एक और मोहर लग गई है। पिछले कई महीनों से व्यापार में बढ़ती खींचतान और  टू प्लस टू डायलॉग के न होने के बाद जिस तरह से अमरीका और भारत के रिश्तों में खटास को देखा जा रहा था कल उसे अमरीकी संसद ने पूरी तरह से निरस्त कर दिया और 716 अरब डॉलर का रक्षा विधेयक पारित किया है। इस विधेयक के पास होने से भारत के साथ देश की रक्षा भागीदारी मजबूत करने की बात कही गई  है। ओबामा प्रशासन ने भारत को 2016 में अमेरिका के अहम रक्षा साझेदार का दर्जा दिया था।
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अमरीकी संसद ने राष्ट्रीय रक्षा विधेयक, 2019 पारित कर सीएएटीएस कानून के तहत भारत के खिलाफ रूस से खरीदे जाने वाले रक्षा उपकरणों पर लगने वाले प्रतिबंध की आशंका को खत्म करने का रास्ता भी साफ कर दिया है। इस प्रतिबंधों के जरिए अमरीका के विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई कानून (सीएएटीएसए) के तहत उन देशों के खिलाफ प्रतिबंध लगाएजाते हैं जो रूस से महत्वपूर्ण रक्षा उपकरणों की खरीद-फरोख्त करते हैं।
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बुधवार को अमरीकी कांग्रेस में 2019 वित्त वर्ष के लिए जॉन एस मैक्केन नेशनल डिफेंस अथॉराइजेशन एक्ट (एनटीएए) (रक्षा विधेयक) कल 10 मतों के मुकाबले 87 मतों से पारित किया। सदन ने पिछले सप्ताह विधेयक पारित किया था। अब इस विधेयक को कानून बनाने के लिए इसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पास भेजा जाएगा और उनके हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा। हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स और सीनेट ने संयुक्त कॉन्फ्रेंस रिपोर्ट में कहा कि अमरीका को भारत के साथ अपनी अहम रक्षा साझेदारी मजबूत करनी चाहिए। दोनों देशों को ऐसी साझेदारी करनी चाहिए जो हमारी सेनाओं के बीच ‘रणनीतिक, संचालनात्मक और सामरिक समन्वय बढ़ा सके।’ 

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कांग्रेस के दोनों सदनों में पारित एनडीएए-2019 के अनुसार अमरीकी सरकार को मानवीय और आपदा राहत प्रतिक्रिया पर सहयोग तथा समन्वय बेहतर करना, फारस की खाड़ी, हिन्द महासागरीय क्षेत्र और पश्चिम प्रशांत महासागर में भारत के साथ अतिरिक्त संयुक्त अभ्यास करना तथा सुरक्षा एवं स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए सहयोगात्मक प्रयास बढ़ाने का प्रावधान है। विधेयक के अनुसार, कांग्रेस का मानना है कि अमरीका को जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और अन्य सहयोगियों तथा साझेदारों के साथ मिलकर मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के मूल्य बरकरार रखने की दिशा में काम करना चाहिए तथा क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता कायम करनी चाहिए।
 


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Tanuja

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